शकील खान। महिलाओं के मस्जिद में जाने लंबे समय से बहस जारी है। इस बीच भोपाल ने प्रदेश में अनोखी मिसाल कायम की। यहां मस्जिदों में महिलाओं को नमाज अदा करने अनुमति है। रमजान में महिलाएं बड़ी संख्या में मस्जिदों में पहुंच रही हैं। यह शुरुआत राजधानी की बीस मस्जिदों से हुई।
राजधानी में करीब पांच सौ मस्जिदें हैं। इनमें से ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, मस्जिद साजिदा सुल्तान, जामा मस्जिद, मस्जिद नजमुल, मस्जिद रब्बानी, टीटी नगर मस्जिद में महिलाओं को नमाज के लिए एंट्री दी गई। इस संख्या में इजाफा हो रहा है। यह इंतजाम शहर के उन हिस्सों की मस्जिदों में हुए जहां भीड़भाड़ ज्यादा है।
राजधानी में महिलाओं के नाम पर 20 मस्जिदें हैं। इनमें मस्जिद साजिदा सुल्तान, मस्जिद कुलसुम बी, मस्जिद मांजी साहिबा, मस्जिद नन्हीं बिया शामिल हैं। एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक ताजुल मसाजिद नवाब शाहजहां बेगम ने बनवाई। ऐतिहासिक जामा मस्जिद, मोती मस्जिद की तामीर भी बेगमों ने कराई। जमीयत उलेमा के इमरान हारून के मुताबिक बेगमों के दौर के बाद इस पर कुछ रोक लगी थी। लेकिन अब फिर से कई जगह शुरुआत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका मामला
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही महिलाओं को मस्जिदों में जाने की अनुमति की बात कह चुका है। यह मामला 2023 में उठा था। सुप्रीम कोर्ट ने पुणे की एक महिला ने याचिका दायर की थी।
इनका कहना
मुस्लिम महासभा अध्यक्ष मुनव्वर अली खान ने बताया कि शहर में कई मस्जिदों में पहल हुई है। यहां महिलाओं के लिए एक स्पेस तय हुआ है। जहां वे नमाज अदा कर सकें। इनमें ताजुल मसाजिद से लेकर जामा मस्जिद तक शामिल है।
सद्भावना मंच् की सदस्य शाहजहां खान के मुताबिक भोपाल की कई मस्जिदों में महिलाओं के जाने पर पाबंदी नहीं। वहां पहुंच इबादत करती हैं। बेगमों के दौर में यहां मस्जिदों का निर्माण हुआ। ऐसे में महिलाओं के लिए अलग इंतजाम हैं। अब फिर से कई जगह बाकायदा बोर्ड भी लगाए है ताकि महिलाओं को जानकारी रहे।
मौलाना हाफिज जुनैद बताते हैं महिलाओं को मस्जिदों में जाने पाबंदी नहीं। इसमें शर्त ये है कि पर्दे का इंतजाम होना चाहिए।
Published on:
26 Mar 2025 11:15 pm