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हरियालो राजस्थान में हरी सच्चाई पर सवाल, 57 प्रतिशत पौधे बिना जियोटैग, दावे पर छाया संदेह

5.24 करोड़ पौधे लगाने का दावा, 2.99 करोड़ पर जियोटैग ही नहीं भरतपुर, डीग, भीलवाड़ा आगे; बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, धोलपुर सबसे पीछे जियो टैगिंग में लापरवाही, पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल

Question on the green reality in green Rajasthan, 57 percent plants without geo tag, doubt cast on the claim
Question on the green reality in green Rajasthan, 57 percent plants without geo tag, doubt cast on the claim

राज्य सरकार के हरियालो राजस्थान अभियान में पौधे लगाने के आंकड़े हरे-भरे दिख रहे हैं, लेकिन जियो टैगिंग के मामले में तस्वीर धुंधली है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 66,853 विद्यालयों में 5 करोड़ 24 लाख 10 हजार पौधे लगाने का दावा किया गया है। इनमें से अब तक केवल 2 करोड़ 13 लाख 68 हजार पौधों का ही जियोटैग हो पाया है, जबकि 2 करोड़ 99 लाख 41 हजार पौधे बिना टैग के हैं। यानी, कुल पौधों में से 57% की लोकेशन व अस्तित्व का कोई डिजिटल सबूत नहीं है। ऐसे में अभियान की सफलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

क्या है जियो टैगिंग

जियो टैगिंग एक तकनीकी प्रक्रिया है। इसमें किसी स्थान की सटीक भौगोलिक लोकेशन (अक्षांश और देशांतर) को डिजिटल फोटो या डेटा के साथ जोड़ा जाता है। पौधों की जियो टैगिंग से यह पता चलता है कि पौधा कहां लगाया गया है और उसकी स्थिति क्या है।

जियो टैगिंग क्यों जरूरी?

जियो टैगिंग से पौधों की सही लोकेशन, स्थिति और अस्तित्व का डिजिटल रिकॉर्ड बनता है। इससे निगरानी आसान होती है और पौधों के जीवित रहने की संभावना बढ़ती है। बिना जियोटैग के, लगाए गए पौधों का वास्तविक सत्यापन मुश्किल हो जाता है।

सवाल उठ रहे हैं

बिना जियो टैग के पौधे लगाने के आंकड़े कई सवाल खड़े करते हैं। क्या ये पौधे वास्तव में लगाए गए हैं। क्या उनकी देखभाल हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जियो टैगिंग में देरी या लापरवाही अभियान की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती है।

कौन आगे, कौन पीछे

आंकड़ों के मुताबिक जियो टैगिंग में भरतपुर पहले, डीग दूसरे और भीलवाड़ा तीसरे नंबर पर है। वहीं, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और धोलपुर इस मामले में सबसे निचले पायदान पर हैं।

मुद्दे पर सवाल

  • - क्या वाकई इतने पौधे लगाए गए।
  • - बिना जियो टैग के इन पौधों का भविष्य क्या होगा।
  • - क्या आंकड़े सिर्फ कागजों में हरे हैं।

सबसे पीछे के 10 जिले

अव्वल तीन जिले

  • 39 भीलवाड़ा 2228036 1857516 370520 16.6%
  • 40 डीग 589220 568775 20445 3.5%
  • 41 भरतपुर 787393 763987 23406 3.0%