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कौन है शांतनु सिन्हा रॉय? जिन्होंने वन में कुल्हाड़ी ले जाने पर भी लगवाई रोक

दे दी हमें आजादी: बरूंदनी में वन क्षेत्र में कुल्हाड़ी ले जाने पर रोक लगाई। निर्माण कार्यों ने स्थानीय संसाधन काम में लिए, जिससे लागत कम आई। गांव में एक मुट्ठी अनाज एकत्रित कर लाने की परम्परा शुरू कर ग्रामीण कोष बनाया।

शांतनु सिन्हा रॉय (फोटो: पत्रिका)

Shantanu Sinha Roy: फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी, भीलवाड़ा संस्था के साथ शांतनु सिन्हा रॉय का सफर शुरू हुआ। पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को आमजन की भागीदारी के साथ शुरू किया।

शांतनु सिन्हा रॉय का जुनून ऐसा कि एक बार ठान लिया तो उस काम के पूरा होने तक रुकते नहीं हैं। ऐसा ही तब हुआ जब अगस्त 2004 में बरूंदनी से त्रिवेणी संगम तक पांच दिवसीय पर्यावरण संरक्षण की पदयात्रा प्रदीप कुमार सिंह के साथ की थी। भेड़ पालकों के हमले के बावजूद रॉय का हौंसला कम नहीं हुआ और जल संकल्प के साथ पदयात्रा सम्पन्न हुई।

शांतनु सिन्हा रॉय ने 30 वर्ष पूर्व भीलवाड़ा की संस्था से जुड़कर कार्य शुरू किया। भू-जल एवं पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को आमजन की भागीदारी के साथ शुरू किया जिनका सकारात्मक परिवर्तन भीलवाड़ा जिले के 700 गांवों में दिखाई दे रहा है। रॉय ने पहल करते हुए ग्रामीणों में श्रमदान की भावना जगाई। जिनसे कच्ची सड़क, चारागाह की चारदिवारी, पौधारोपण, पट्टी स्ट्रक्चर, कन्टूर, चेक डेम, गेबियन बनवाए।

आया बदलाव, भू-जल स्तर बढ़ा

मांडलगढ़ उपखंड क्षेत्र के बरूंदनी, सिंगोली, कालीखोल, किशनपुरा, केंकडिया, टहला, अमरतिया, बीकरण, श्यामपुरा, भटखेड़ी, भारींडा, झंझोला, मांगटला सहित कई गांवों में वनों का अप्रत्याशित विकास एफईएस के माध्यम से हुआ। गांवों में भू-जल स्तर में वृद्धि हुई।

वन प्रबन्ध समितियों में भी महिलाओं को जिम्मेदारी देकर उनके कौशल में वृद्धि की।

  • शांतनु सिन्हा