बनास नदी इन दिनों खतरे के साए में बह रही है। बारिश के बाद मातृकुंडिया बांध से छोड़े गए पानी की आड़ में भीलवाड़ा की कपड़ा प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों ने केमिकल युक्त काला पानी सीधे बनास नदी में छोड़ दिया। नदी में बहता यह काला ज़हर अब 35 किलोमीटर तक गांवों की ज़मीन, कुएं और फसलें तक पहुंच गया है। लेकिन मामले में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
ज़हरीले पानी की चपेट में आए गांव
बनास नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव में यह काला जहर पहुंच गया है। इनमें हमीरगढ़, मंगरोप, खातीखेड़ा, पाटनिया, पीपली, सियार, कलूंदिया, महेशपुरा, सोलंकियों का खेड़ा, रेण, गेंदलिया समेत अन्य शामिल है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सख्त दिशा-निर्देशों के बावजूद कपड़ा प्रोसेस करने वाली फैक्ट्रियों की ओर से खुलेआम अपशिष्ट नदी में बहाया जा रहा है। यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन बल्कि मानव जीवन, पशु-पक्षियों और जल स्रोतों के लिए गंभीर खतरा है।
प्रशासन मौन, जिम्मेदार कौन
गेंदलिया और आस-पास के ग्रामीणों की मांग है कि जिन फैक्ट्रियों ने केमिकल युक्त पानी छोड़ा उनके खिलाफ तत्काल जांच व कठोर कार्रवाई हो। अगर यही हाल रहा तो आने वाले वर्षों में बनास नदी सिर्फ एक ज़हरीली धारा बनकर रह जाएगी। इस काले पानी से खेतों की फसलें बर्बाद हो जाएगी और जल स्रोत जहरीले हो जाएंगे।
प्रोसेस हाउस के खिलाफ हो कार्रवाई
प्रोसेस हाउस से जो काला पानी बनास नदी में छोड़ा गया है, वह सीधा किसानों के कुओं और ज़मीन में जाएगा। इससे त्वचा रोग, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा है। प्रशासन को अविलंब कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
- बद्रीलाल तेली, प्रांत अध्यक्ष, अफीम किसान संघर्ष समिति
सूचना मिलने पर भेजी टीम
बनास नदी में काले पानी की सूचना मिलने पर एक टीम को भेजा है। रिपोर्ट आने के बाद बताया जाएगा कि पानी में कितना केमिकल या स्लज था।
- दीपक धनेटवाल, क्षेत्रीय अधिकारी, आरपीसीबी
Published on:
02 Aug 2025 09:18 am