MA in Chhattisgarhi: इस साल से हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में भी एमए इन छत्तीसगढ़ी विषय की शुरुआत हो चुकी है। पहले तक यह कोर्स सिर्फ पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की यूटीडी में संचालित होता था, लेकिन अब दुर्ग विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज यह कोर्स चला पाएंगे। एमए छत्तीसगढ़ी दो साल का कोर्स होगा, जिसे चार सेमेस्टर में बांटा गया है। कुल 1600 अंकों के लिए अधिकतम 80 क्रेडिट दिए जा सकेंगे।
नए कोर्स का सिलेबस हेमचंद विश्वविद्यालय से जारी कर दिया है। हर सेमेस्टर में चार प्रश्नपत्र रखे गए हैं। इसमें प्रश्नपत्र छत्तीसगढ़ी में ही आएगा और सभी उत्तर भी छत्तीसगढ़ी में ही लिखने होंगे। सिलेबस को पूरी तरह से छत्तीसगढ़ी में बनाया गया है, जहां हिंदी की जगह छत्तीसगढ़ी में निर्देश दिए गए हैं। हेमचंद विश्वविद्यालय की बोर्ड ऑफ स्टडी ने इसको मंजूरी दे दी है। एमए छत्तीसगढ़ के सिलेबस के तहत इसमें २० अंकों का आंतरिक मूल्यांकन होगा, जिसमें संगोष्ठियों के अंक भी मिलेंगे। इसके साथ थ्योरा का प्रश्नपत्र 80 अंकों का होगा। हेमचंद विश्वविद्यालय ने नया सिलेबस प. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से अडॉप्ट किया है।
सिलेबस के तहत विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ की भगौलिक स्थिति और प्राचीन इतिहास के बारे में समझाया जाएगा। इसके साथ छत्तीसगढ़ में देसी और अंग्रेजी राज के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। 1857 की अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में छत्तीसगढ़ की भूमिका भी पढ़ने को मिलेगी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ का सामाजिक आर्थिक व सांस्कृतिक परिदृश्य भी समझने को मिलेगा। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य कैसे बना, क्यों बना, ऐसे कौन से नेता थे जिन्होंने इसके लिए संघर्ष किया, यह भी कोर्स का हिस्सा होगा।
इसी कोर्स में छत्तीसगढ़ के पहनावा, रीति-रिवाज, पहनावा, गहना गूठा, पारिवारिक जीवन के साथ लोकाचार पर बात होगी। विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ के तिहार, जन्म से मरने तक लोक संस्कार और लोक शिल्प के बारे में पढ़ाया जाएगा।
एमए छत्तीसगढ़ी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि, इसमें प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी को छत्तीसगढ़ी भाषा बोली के स्वर और व्यंजनों की ठोस जानकारी हो जाएगी। छत्तीसगढ़ी बोली के शब्दभेद और व्याकरण भी बारीकी से समझने को मिलेगा। इससे विद्यार्थियों की भाषा-बोली क्षमता में बढ़ोतरी होगी। छत्तीसगढ़ के ठेठ गांवाें में बोली जाने वाली छत्तीसगढ़ी बोलने और समझने को मिलेगी।
एमए इन छत्तीसगढ़ी का सिलेबस तैयार हो गया है। नए कोर्स कॉलेजों में शुरू हो रहे हैं। इस कोर्स के जरिए विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ी बोली-भाषा के साथ लोक कला जैसे हर पहलू पढ़ाए सिखाए जाएंगे। - भूपेंद्र कुलदीप, कुलसचिव
Updated on:
07 Sept 2025 01:28 pm
Published on:
07 Sept 2025 01:27 pm