
300 से अधिक फैक्ट्रियों का केमिकल बना प्रदूषण का कारण(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर संचालित 300 से अधिक छोटे-बड़े उद्योगों के कारण भू-जल तेजी से प्रदूषित होता जा रहा है। अधिकांश फैक्ट्रियां उपयोग के बाद बचने वाले केमिकल युक्त पानी को रिसायकल नहीं करतीं। उद्योग संचालक इस विषाक्त पानी को या तो प्लांट परिसर में ही बोरिंग के जरिए जमीन के भीतर उतार देते हैं या बरसाती नालों में बहाकर ‘डिस्पोज’ कर देते हैं। इस गैरकानूनी तरीके से भू-जल में सीधे जहर घुल रहा है। प्रभवित क्षेत्र में यह सब खुली आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन जिम्मेदार विभाग को शिकायत का इंतजार है।
भिलाई नगर निगम क्षेत्र के छावनी और भिलाई-चरोदा निगम के ग्राम अकलोरढीह में करीब 32 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं। यहां पाइपलाइन से पानी की व्यवस्था है, लेकिन मरम्मत या संकट के समय टैंकर ही एकमात्र सहारा बनता है। लोगों के घरों में बोरिंग है, परंतु उसमें निकलने वाला पानी इतना केमिकल युक्त है कि पीने तो दूर नहाने-धोने में भी उपयोग योग्य नहीं। मजबूरी में निवासी इस पानी से घर के आंगन और शौचालय की सफाई करते हैं।
उद्योगों के पीछे से गुजरने वाला बरसाती नाला सालभर केमिकल युक्त कचरा जल से भरा रहता है। यह नाला मूल रूप से बारिश के पानी की निकासी के लिए है, लेकिन अब यह उद्योगों का गंदा आउटलेट बन चुका है, जिससे आसपास की मिट्टी और भू-जल दोनों तेजी से दूषित हो रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत बिना उपचार जल निकासी दंडनीय अपराध है। इसलिए आवश्यक है कि
नियमित निरीक्षण हो
दोषी उद्योगों पर जुर्माना व सीलिंग की कार्रवाई
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जवाबदेही तय
प्रभावित क्षेत्रों में वैकल्पिक शुद्ध पेयजल की गारंटी
केमिकल उद्योगों में ईटीपी लगाना नियम है। इसमें न्यूट्रलाइजेशन टैंक, भौतिक-रासायनिक उपचार और सौर वाष्पीकरण टैंक अनिवार्य होते हैं। भिलाई में कुछ फैक्ट्रियों ने औपचारिकता निभाने के लिए यह प्लांट तो लगाया है, पर चालू बहुत कम रखते हैं। विभाग नियमित निरीक्षण नहीं करता।
जांच कर कड़ी कार्रवाई हो। यह भी देखा जाए कि जो ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, वे केवल शो-पीस बनकर तो नहीं रह गए।
केमिकल उद्योगों से केमिकलयुक्त पानी की निकासी नाला या नाली में हो रही है। ऐसी शिकायत अभी मुझ तक नहीं पहुंची है।
Published on:
28 Oct 2025 10:36 am
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