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Rajasthan: बिना लाइसेंस गांवों में खाद-बीज बेचा तो खैर नहीं, कृषि विभाग ने इन 6 जिलों के लिए निकाला सख्त आदेश

राजस्थान में गत दिनों से फर्जी खाद-बीज को लेकर लगातार कार्रवाई की जा रही है। गत दिनों ही प्रदेश के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कई जगहों पर नकली खाद-बीज का भंडाफोड़ भी किया है।

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डीग जिले में खाद-बीज की दुकान पर जांच करते विभागीय अधिकारी। फोटो: पत्रिका

डीग। राजस्थान में गत दिनों से फर्जी खाद-बीज को लेकर लगातार कार्रवाई की जा रही है। गत दिनों ही प्रदेश के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कई जगहों पर नकली खाद-बीज का भंडाफोड़ भी किया है। इसे देखते हुए राजस्थान में कृषि विभाग ने भी सख्त कदम उठाए हैं। उन्होंने दिशा-निर्देश जारी किया है। जिसमें बिना लाइसेंस के गांव में किरानें की दुकान, दूध की डेयरी सहित अन्य विक्रेताओं की ओर से किसानों को बीज नहीं बेचने का आदेश दिया है। जिसमें बिना लाइसेंस के बीज बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब किराने की दुकानों, दूध की डेयरियों या अन्य अनधिकृत विक्रेताओं को बीज बेचने की अनुमति नहीं होगी।

होगी बीज अधिनियम के तहत कार्रवाई: इसके तहत आदेश जारी किए गए हैं कि अगर कोई दुकानदार ऐसा करते पाया गया तो उसके खिलाफ बीज अधिनियम 1966, बीज नियम 1968 और बीज नियंत्रण आदेश 1983 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम किसानों को नकली बीजों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है।

इस तरह कर सकते हैं डीएपी की पहचान

प्रदेश में गत दिनों से नकली खाद बनाने की फैक्टरियों का खुलासा किया गया है। इसके बाद किसान खाद की गुणवत्ता को लेकर काफी परेशान हैं। कृषि विभाग ने किसानों से असली डीएपी खाद की पहचान के नुस्खे बताए है। कृषि अधिकारी ने बताया कि किसान डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मले। यदि उसमें से तेज गंध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाए तो समझे कि यह डीएपी असली है। असली डीएपी के दाने कठोर, भूरे, काले और बादामी रंग के होते हैं और नाख़ून से आसानी से नहीं टूटते है।

जिलों के अधिकारियों को दिए जांच के आदेश

प्रदेश में नकली खाद, बीज एवं कीटनाशकों की बढ़ती बिक्री पर नकेल कसने के लिए अतिरिक्त निदेशक कृषि (तिलहन) ने अलवर, भरतपुर, डीग, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, करौली के संयुक्त निदेशकों को जिले में बेहतर गुणवत्ता के किसानों को कृषि आदान उपलब्ध कराने के साथ अधिकारियों को कार्रवाई के अधिकार दिए हैं। इसके चलते भरतपुर संभाग के पांचों अधिकारियों को जांच के अधिकारी दिए हैं। जो निचले स्तर पर खाद-बीज पर निगरानी रखेंगे।

पूर्व में केवल कृषि विभाग एवं आत्मा विभाग के अधिकारियों के पास ही उर्वरक एवं कीटनाशक फैक्ट्रियों, विक्रेताओं की जांच करना, नमूना लेने एवं कार्रवाई करने की शक्तियां थीं। लेकिन प्रदेश में चल रही वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने गजट जारी करते हुए प्रदेश में उद्यान विभाग के उपनिदेशक, सहायक निदेशक एवं कृषि अधिकारी स्तर के अधिकारियों को भी उर्वरक, कीट एवं बीज निरीक्षक की शक्तियां प्रदान कर अधिक से अधिक नकली बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक विक्रेताओं एवं फैक्ट्रियों की जांच कर कार्रवाई करने एवं नमूना आहरण करने के अधिकार दिए हैं।

लम्बित अमानक कृषि आदानों में 27 जून तक इस्तगासा दायर करने के निर्देश

-अधिकारी कार्यक्षेत्र में कहीं भी कृषि आदानों का अवैध भण्डारण एवं बिक्री नहीं हो यह सुनिश्चित करें।
-यूरिया का गैर कृषि कार्यों में उपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जावे।
-समस्त कृषि आदान निर्धारित दर पर कृषकों को उपलब्ध हो तथा किसी भी आदान की कृषि आदान की टैगिंग नहीं हो यह सुनिश्चित करे।
-गत वर्षों के लम्बित अमानक कृषि आदानों में 27 जून 2025 तक इस्तगासा दायर कराना सुनिश्चित करें, अन्यथा दोषी निरीक्षक का नाम अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रस्तावित की जाए।


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अधिकारियों को किया पाबंद

जिलों के संयुक्त निदेशकों को निर्देशित किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिना अनुज्ञापत्र के किसी भी प्रकार का कृषि आदान (बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी रसायन) की बिक्री नहीं की जाए। इसके लिए पंचायत समितिवार प्रभारी कृषि अधिकारी मनोनीत किया जाए व क्षेत्रीय सहायक कृषि अधिकारी एवं कृषि पर्यवेक्षक को पाबंद किया जाए।
-देशराज सिंह, अतिरिक्त निदेशक कृषि भरतपुर