Master Adityendra Life Story: मास्टर आदित्येन्द्र सरलता, सहजता, सादगी, समरसता के साथ कर्मठता की प्रतिमूर्ति थे। लोहागढ़ के इस सपूत ने आजादी की लड़ाई में एक मशाल जलाकर मिसाल पेश की।
आदित्येन्द्र के पौत्र भरतपुर व्यापार महासंघ के जिलाध्यक्ष संजीव गुुप्ता ने बताया कि इनका जन्म भरतपुर जिले के ग्राम थून में 24 जून 1907 को हुआ। हाई स्कूल में उन्होंने एक समर्पित आदर्श शिक्षक के रूप में कार्य किया, वे अपने वेतन की आधी धन राशि निर्धन छात्रों की पढ़ाई पर व्यय करते हुए अपने घर पर भी बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाते थे।
उन्होंने 1961 से 1977 (16 वर्ष) तक प्रतिपक्ष में रहकर जनता की आवाज बुलन्द की। इसी अवधि में 1967 में वे विधायक बने। वर्ष 1975 में आपातकाल लागू होने पर बाबू जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर वे 19 माह तक जेल में रहे। आपातकाल समाप्ति के बाद हुए विधानसभा चुनावों में फिर से वे विधायक बने।
भरतपुर जिले में वर्ष 1939 का सत्याग्रह आन्दोलन 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन तथा 1947 का स्वतंत्रता प्राप्ति व बेगार विरोधी आन्दोलन आन्दोलन मास्टर आदित्येन्द्र के नेतृत्व में हुए। सरकार इन प्रयासों को कुचलना चाहती थी। 11 मई 1939 को सत्याग्रह आन्दोलन की शुरुआत शहर के लक्ष्मण मन्दिर से हुई। गिरफ्तारियों का तांता लग गया। कुछ को डंडे मारकर छोड़ दिया। कुछ को कठोर कारावास की सजा दी गई।
मास्टर आदित्येन्द्र पूरे परिवार के साथ आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े। जेल की कठोर यातना सहनी पड़ी।
Published on:
07 Aug 2025 07:55 am