Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Bharatpur : ‘कुछ करो मां, मैं मर जाऊंगी…’, बहू का दर्द देख सास सबसे गिड़गिड़ाती रही, आखिरकार सुबह पिंकी की सांसें थम गईं

Bharatpur : भरतपुर के अस्पताल का एक मार्मिक दृश्य। आपकी आंखों में पानी ला देगा। भरतपुर में जनाना अस्पताल में बेबस बहू ने अपनी सास से कहा कुछ करो मां, मैं मर जाऊंगी। बहू की तकलीफ को देखकर सास अस्पताल के स्टाफ से गिड़गिड़ाती रही। पर कोई मदद नहीं मिली। सुबह डॉक्टर आया, पर इधर पिंकी की सांसें थम गईं।

4 min read
Google source verification
Bharatpur Janana Hospital gross negligence pregnant woman Pinky dies family members create ruckus

भरतपुर. मृतका पिंकी, बहू की मौत के बाद बिलखती सास। फोटो पत्रिका

Bharatpur : भरतपुर में जनाना अस्पताल में प्रसूता की मौत की घटना हर उस इंसान को झकझोर रही है, जो अस्पताल शब्द सुनकर राहत की उम्मीद करता है, लेकिन यहां एक बहू ने मदद की उम्मीद में आवाज लगाई, उसकी सास ने सबके आगे हाथ जोड़े, लेकिन जवाब मिला ‘गोली दे दो, बिस्किट खिला दो।’ मृतका पिंकी जिसकी डिलीवरी के बाद बच्चा मर गया था, खुद भी जिंदगी की जंग हार गई।

बहू की मौत के बाद उसकी सास लक्ष्मी देवी की आंखों में अब भी वो दृश्य जिंदा है। वह कहती हैं कि ‘मैं ढाई घंटे तक अस्पताल में भागती रही, सबके आगे गिड़गिड़ाती रही, पर किसी ने नहीं सुनी। मेरी बहू दर्द से तड़पती रही, वह कहती रही कि कुछ करो मां, मैं मर जाऊंगी, लेकिन स्टाफ बार-बार यही कहता रहा कि कुछ नहीं हुआ, बिस्किट खिला दो।

रातभर दर्द से कराहती पिंकी को न कोई डॉक्टर देखने आया, न कोई नर्स पास आई। परिजनों की पुकार दरवाजों से टकराती रही। इसी बीच अस्पताल के गार्ड ने पिंकी के पति को गेट के बाहर ही निकाल दिया और जब सुबह करीब 5 बजे डॉक्टर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पिंकी की सांसें थम चुकी थीं। लक्ष्मी देवी सिसकते हुए हुए बताती हैं कि ‘जब डॉक्टर देखने आया, तब तक मेरी बहू की मौत हो चुकी थी। यदि समय पर इलाज मिल जाता तो शायद वह जिंदा होती।’

परिजनों ने किया हंगामा

पिंकी की मौत के बाद शनिवार सुबह करीब 10 बजे परिजनों ने हॉस्पिटल के बाहर हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों का कहना था कि पिंकी का इलाज समय पर शुरू हो जाता तो दोनों की जान बच सकती है। पिंकी का पति अजय मजदूरी करता है। ये उसका तीसरा बच्चा था, जो मरा हुआ था। पिंकी के पहले से 2 लड़के हैं।

इस मामले पर जनाना अस्पताल के प्रभारी शेर सिंह ने बताया कि मामले हमारे संज्ञान में आया है। मामले की जांच की जा रही है। यदि किसी भी कर्मचारी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

परिजन बोले, यहां अव्यवस्थाओं का साम्राज्य

जनाना अस्पताल में प्रसूता पिंकी की मौत के बाद समीप ही भर्ती मरीज के परिजन सोरन सिंह ने बताया कि मरीज दर्द से कराहती रही, लेकिन उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी। कोई उसे देखने तक नहीं आया। उसकी डिलीवरी में भी लापवाही हुई, जब वह शुक्रवार शाम को भर्ती हो गई थी तो ढाई बजे क्यों डिलीवरी की गई, जब तक उसके पुत्र की धड़कन बंद हो गई। इसके बाद प्रसूता दर्द से कराहती रही। सुबह पांच बजे उसकी मौत हो गई, तब चिकित्सक भी आ गया और स्टाफ भी आ गया।

मुझे तो गार्ड ने बाहर कर दिया, बेबस पति ने कही अपनी आपबीती

मृतक पिंकी के पति अजय ने बताया कि डिलीवरी के बाद गार्ड ने मुझे गेट से बाहर कर दिया, मेरी पत्नी दर्द से कराहती रही। मां ढाई बजे से पांच बजे तक मेरी पत्नी को बेड पर सुलाकर अकेले ही भागती रही, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी।

यह था पूरा मामला

राजकीय जनाना अस्पताल में शनिवार सुबह एक प्रसूता की मौत हो गई। डिलीवरी के दौरान प्रसूता ने मरे बच्चे को जन्म दिया था। इसके बाद प्रसूता की तबीयत बिगड़ने लगी और दम तोड़ दिया। मृतका पिंकी (24 वर्ष) के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया है। परिजनों का आरोप है कि स्टाफ को तबीयत खराब होने की जानकारी दी थी। इसके बाद भी इलाज नहीं किया।

कामां थाना क्षेत्र के अकाता गांव निवासी पिंकी के देवर लोकेश ने बताया कि उसकी भाभी पिंकी को शुक्रवार शाम 5 बजे जनाना अस्पताल लेकर आए थे। रात करीब ढाई बजे डिलीवरी हुई, जिसमें मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ। डिलीवरी के आधे घंटे बाद रात करीब 3 बजे पिंकी को घबराहट होने लगी।

मृतका पिंकी की सास लक्ष्मी ने वार्ड में तैनात कर्मचारियों को पिंकी की तबीयत के बारे में बताया, लेकिन, उन्होंने उनकी शिकायत को अनसुना कर दिया और इलाज नहीं किया। इस बीच सुबह 5 बजे अचानक तबीयत ज्यादा खराब हो होने लगी। परिजन उसे लेकर आरबीएम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

क्या सिस्टम को सुधारने के होंगे प्रयास

एक अस्पताल जहां ‘मां बनने’ जैसी सबसे पवित्र भावना जन्म लेती है, वहां लापरवाही ने एक और मां को छीन लिया। सवाल यह नहीं कि किसकी गलती थी। सवाल यह है कि आखिर सरकारी अस्पतालों में दर्द की नहीं, केवल मौत की सुनवाई क्यों होती है’।

अब जांच होगी, रिपोर्ट आएगी और यदि संवेदना जिंदा रही तो एकाध को जिम्मेदार ठहराकर इस मौत पर भी पर्दा डाल दिया जाएगा। क्या सिस्टम को सुधारने के कुछ और प्रयास होंगे, इस पर सवाल अभी भी कायम है।