Death of Bjp Leader: गांवों में अंतिम संस्कार करना इन दिनों आसान नहीं रहा। बरसात के मौसम में स्थिति यह हो गई है कि लकड़ी और कफन के साथ अब पन्नी और टीन भी अंतिम संस्कार के जरूरी सामान में शामिल हो गए हैं। हालात यह दर्शा रहे हैं कि गांवों में मुक्तिधाम की मूलभूत सुविधाएं आज भी लोगों के लिए सपना बनकर रह गई हैं।
मंगलवार को खंडसरा के पास स्थित ग्राम चमारी से एक तस्वीर सामने आई जिसने इस विडंबना को और स्पष्ट कर दिया। यहां भाजपा नेता फिरंता राम साहू का निधन हो गया था। ग्रामीण परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया जाना था। इसी दौरान तेज बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने के लिए गांव वालों ने तुरंत पाइप और टीन का अस्थाई शेड खड़ा किया ताकि क्रिया-कर्म संपन्न किया जा सके।
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि कुछ साल पहले भी इसी तरह की अस्थाई व्यवस्था के बीच अंतिम संस्कार किया गया था। उस वक्त एक बड़ा हादसा टल गया था, जब जुगाड़ से लगाए गए पाइप के बीच से अचानक सांप निकल आया और लोग भयभीत होकर वहां से भाग खड़े हुए। उस घटना की याद ताजा होते ही मंगलवार को भी लोगों ने अपनी पीड़ा जाहिर की।
अंतिम संस्कार में शामिल ग्रामीणों का कहना था कि नेता चाहे सत्ताधारी दल के हों या विपक्ष के, मुक्तिधाम की स्थिति हर जगह एक जैसी है। लोगों ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा नेता फिरंता राम साहू स्वर्ग जाकर शायद यही पूछेंगे कि "डबल इंजन सरकार" होने के बावजूद उनके जिले में मुक्तिधाम जैसी बुनियादी सुविधा क्यों नहीं है। ग्रामीणों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि जिस जिले में खनिज मद को खजाना मद बना दिया गया हो, वहां शायद मुक्तिधाम जैसी सुविधा के लिए अब मानवाधिकार आयोग की जरूरत पड़ेगी।
गौरतलब है कि इसी सत्र में ग्राम जेवरा एन और मनोधरपुर में भी बारिश के बीच पन्नी तानकर अंतिम संस्कार करने पड़े थे। उस समय भी तस्वीरें वायरल हुई थीं और पत्रिका ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
Published on:
03 Sept 2025 01:07 pm