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Rajasthan: इस शिव मंदिर में भारत-पाक के हिंदू नवाते हैं शीश, बॉर्डर के आखिरी गांव में बना है ये शिवालय

Sawan 2025: अंग्रेजों के समय जब लाइन बिछाई गई तो रेलवे ने मंदिर का निर्माण करवाया। 1947 में भारत पाक विभाजन हुआ तो यह मंदिर भारत की सरहद का अंतिम शिवालय हो गया।

शिव मंदिर (फोटो: पत्रिका)

Shiv Temple Munabao: बाड़मेर जिले के अंतिम भारत पाक-सीमा क्षेत्र का मुनाबाव का शिव मंदिर कुछ खास है। यहां वर्षों से पाक जाने आने वाले हिंदू शीश नवाते रहे हैं। भारत पाक युद्ध के दौरान सेना, बीएसएफ जवान हर हर महादेव के उद्घोष लगाते हुए कूच करते थे। वहीं आजादी से पूर्व रेल से आने जाने वाले यात्री महादेव से कुशल यात्रा की कामना के बाद अपनी यात्रा प्रारंभ करते थे। थार एक्सप्रेस के संचालन के समय बने अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन के भीतर से ही मंदिर की तरफ यात्रियों का वंदन होता था।

यह है इतिहास

अंग्रेजों के समय जब लाइन बिछाई गई तो रेलवे ने मंदिर का निर्माण करवाया। 1947 में भारत पाक विभाजन हुआ तो यह मंदिर भारत की सरहद का अंतिम शिवालय हो गया। इसके बाद जोधपुर-हैदराबाद-पाकिस्तान के मध्य चलने वाली रेल में आने जाने वाले हिंदू यात्री मंदिर में शीश झुका पाकिस्तान रवाना होते थे। हालांकि अभी भारत-पाक के बीच रेल संचालन बंद है लेकिन भारत और पाकिस्तान से आने-जाने वाले हिंदू यात्रियों के लिए यह मंदिर आस्था का विशेष केंद्र है।

श्रावण मास में विशेष आराधना

पिछले कई वर्षों से मुनाबाव, अकली, सजनानी, पीथाकर, जैसिंधर स्टेशन, गडरारोड सहित कई सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों एवं बीएसएफ जवानों की ओर से श्रावण मास में आराधना करते हैं और शिवरात्रि को यहां जागरण का आयोजन किया जा रहा है। पैसेंजर ट्रेन से बाड़मेर, रामसर, गडरारोड़, जयसिंधर से कई महिला श्रद्धालु सावन के महीने में मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंच रही हैं।

जनसहयोग से निर्माण कार्य

मंदिर को भव्य बनाने के लिए सभी का सहयोग जनसहयोग से यहां दो कमरे और पानी के टांके का निर्माण करवाया है। स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं समाजसेवियों से भी चर्चा की है। देश की सरहद के अंतिम शिव मंदिर को भव्य रूप देने के लिए सभी से सहयोग लिया जा रहा है।