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सरहद की निगहबान इन बहनों को सलाम… राखी के दिन भी रेगिस्तान में सीमा पर हथियारों संग मुस्तैदी से दे रही पहरा

महिला जवानों ने भाई की कलाई पर नहीं, सरहद पर बांधी विश्वास की डोर। त्योहार से पहले देश की सुरक्षा को दी प्राथमिकता, भाइयों ने भी बहनों के जज्बे को किया सैल्यूट।

डृयूटी पर तैनात महिला जवान।

बाड़मेर. भारत-पाक की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात बीएसएफ की महिला जवान इस बार रक्षाबंधन का पर्व भी सरहद पर ड्यूटी निभाते हुए मनाएंगी। जब पूरा देश बहन-भाई के इस पवित्र रिश्ते को मनाने में व्यस्त होगा, तब ये बहादुर बेटियां देश की सुरक्षा की चौकसी में जुटी रहेंगी। विपरीत हालात तथा परिवार से दूर होने के बावजूद महिला जवान देशी की सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ भाइयों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करेंगी।

इन महिला सैनिकों ने बताया कि इस बार वे अपने भाइयों की कलाई पर खुद जाकर राखी नहीं बांध पाएंगी, लेकिन वीडियो कॉल के जरिए अपना आशीर्वाद और शुभकामनाएं भेजेंगी। भाइयों ने भी बहनों के इस जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि उनके लिए सबसे बड़ी राखी यही है कि बहनें देश की सरहद को सुरक्षित रखें।

सीमा पर तैनात जवानों के लिए त्योहार का मतलब सिर्फ खुशी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी है। महिला जवानों का कहना है कि हमारे लिए देश की सीमाओं की रक्षा ही सबसे बड़ा व्रत और सबसे पवित्र बंधन है। जब तक सरहद महफूज है, तभी तो घर-घर में त्योहार हंसी-खुशी से मनाए जाते हैं।

अटूट प्रेम और सुरक्षा का संकल्प
राखी का धागा भले इस बार बॉर्डर तक न पहुंचे, लेकिन इन बहनों के दिल में भाई और देश दोनों के लिए अटूट प्रेम और सुरक्षा का संकल्प पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है। चौकियों पर तैनात ये बेटियां अपने हथियार और वर्दी के साथ रक्षाबंधन मनाकर पूरे देश को संदेश देती हैं कि असली राखी वही है, जिसमें सरहद महफूज रहे और देश चैन की नींद सोए।

राजस्थान में सीमा पर एक हजार महिला जवान

  • बीएसएफ में चार हजार के करीब महिलाएं
  • राजस्थान में करीब एक हजार महिलाएं
  • श्री गंगानगर में तारबंदी पर खेती के चलते महिला सैनिक ज्यादा
  • पंजाब में महिला सैनिक सबसे ज्यादा
  • पाकिस्तान से लगती हैं राजस्थान की 1035 किमी सीमा
  • बॉर्डर पर तीन सौ करीब बीएसएफ की सीमा चौकी
  • चालीस हजार से अधिक सैनिक बॉर्डर पर तैनात