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राजस्थान में 125 KM रेल विस्तार से बदल जाएगा विकास का नक्शा, पर्यटन और रोजगार को मिलेगी नई रफ्तार

मुनाबाव, बाड़मेर से 125 किमी की दूरी पर है। ऐसे में इस रेल को केवल 125 किलोमीटर ही आगे बढ़ाने की जरूरत रहेगी। इतनी सी दूरी इस रेल की खासियत को और भी बढ़ा देगी। देश के दो छोर को जोड़ने का तमगा लगेगा।

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Guwahati Express rail extension

Guwahati Express rail extension (Photo-AI)

बाड़मेर: कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल चल रही है, जो नॉर्थ-साऊथ (उत्तर-दक्षिण) की देश की सीमा को जोड़ रही है। लेकिन ईस्ट से वेस्ट (पूर्व-पश्चिम) तक की पूरी सीमा को जोड़ने वाली विशेष रेल कोई नहीं है।


रेलवे को इसके लिए करना कुछ नहीं है, बस बाड़मेर आकर खड़ी रहने वाली गोवाहटी एक्सप्रेस को मुनाबाव (भारत के अंतिम रेलवे स्टेशन) तक 125 किमी तक बढ़ा दिया जाए तो यह पूर्व से पश्चिम तक चलने वाली विशेष रेल की श्रेणी में आ जाएगी। सामरिक दृष्टि से यह महत्वपूर्ण रेल बन सकती है।


देश दो सीमाओं में क्रास करता है। पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण। कन्याकुमारी से कश्मीर तक हिमनगरी एक्सप्रेस रेलवे की ओर से संचालित हो रही है। इस रेल की ख्याति भी इस कारण ज्यादा है कि देश की दोनों सीमाओं को यह रेल जोड़ रही है। दूसरी सीमा पूर्व से पश्चिम तक की है। इसके लिए अब तक विशेष रेल नहीं है।


बाड़मेर से गोवाहटी (असम) तक साप्ताहिक रेल का संचालन हो रहा है। यह रेल बाड़मेर आकर अंतिम ठहराव करती है, लेकिन इसके आगे नहीं जाती है। देश की पश्चिमी सीमा का अंतिम रेलवे स्टेशन मुनाबाव है, जो पाकिस्तान के ठीक सामने है। इस रेलवे स्टेशन तक यह रेल बढ़ जाती है तो पूर्व से पश्चिम तक जोड़ने के लिए भी एक रेल बन जाएगी।


सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण


मुनाबाव पश्चिमी सीमा का आखिरी रेलवे स्टेशन है। इसके नजदीक गडरारोड़ बड़ा कस्बा है। बीएसएफ और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने से यह रेल यहां मुफीद होगी।


पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा


बॉर्डर पर्यटन को लेकर राज्य और केंद्र सरकार की ओर से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। देश के अंतिम छोर के गांवों तक पहुंचकर वहां सैर सपाटे के लिए देशभर में अब हर बॉर्डर पर कार्य हो रहा है। वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत भी अब देश के सभी सीमांत गांवों का पर्यटन की दृष्टि से विकास होना है। ऐसे में यह रेल आगे मुनाबाव तक बढ़ने से पर्यटन विकास के भी पंख लगेंगे।


एक आइडिया जो बदल देगा ख्याति


यह एक यूनिक आइडिया है। वास्तव में यह रेल की ख्याति को ही बदल देगा। यह रेल देश की पहचान बन जाएगी। दो सीमाओं को पूर्व से पश्चिम तक जोड़ना वास्तव में बड़ी बात होगी।


इसकी पैरवी की जा सकती है। इसमें रेलवे को कोई अतिरिक्त व्यय नहीं करना है। बस रेल को 125 किमी आगे तक ले जाना है। टाइम-टेबल मैनेजमेंट करते ही यह कार्य हो सकता है।
-अशोक शारदा, एक्सपर्ट