बालोतरा। डेढ़ साल पहले बने नए जिले बालोतरा का मास्टर प्लान वर्ष 2011 में तैयार किया गया। वर्ष 2031 तक के इस मास्टर प्लान को 2021 में शहर की कई सड़कों और सरकारी भूमि को लेकर संशोधित किया गया था। इस मास्टर प्लान में शहर के समग्र विकास के लिए चौड़ी सड़कों, हरित क्षेत्रों, वाणिज्यिक और आवासीय जोन, जल निकासी, सीवरेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी योजनाओ को शामिल किया गया था। हालांकि इनमें से अधिकांश योजना आज भी कागजों से बाहर निकलकर धरातल पर नहीं उतर पाई है। ऐसे में अब समय आ गया है कि प्रशासन, नगर परिषद और संबंधित विभाग मिलकर बालोतरा जिले के अनुरूप मास्टर प्लान की पुनर्समीक्षा कर इन योजनाओं को धरातल पर उतारने का क्रियान्वयन शुरू करें।
मास्टर प्लान के ये कार्य प्रस्तावित
मास्टर प्लान के अनुसार शहर के विस्तार, भूमि उपयोग, परिवहन नेटवर्क, जल निकासी, हरित क्षेत्र और सार्वजनिक सुविधाओं के विकास के कार्य प्रस्तावित थे। लेकिन इन योजना का अधिकांश भाग अभी तक क्रियान्वित नहीं होने से शहर में मूलभूत समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
डेढ़ साल पहले जिला बना, लेकिन विकास अधूरा
बालोतरा के जिला बनने पर योजनाओं को गति मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन शहर की वर्तमान स्थिति मास्टर प्लान की कल्पनाओं से मेल नहीं खाती। दो-तीन दिनों से हो रही बारिश ने शहर की अव्यवस्थित जल निकासी प्रणाली की पोल खोल दी। सड़कों की हालत जर्जर है, जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है, ट्रैफिक जाम और यातायात अव्यवस्थित है, हरित क्षेत्रों की कमी और सार्वजनिक सुविधाएं बदहाल पड़ी हैं। ऐसे में जिला बनने के बाद भी बुनियादी ढांचे में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ।
विकास की राह में अड़चनें
आकाश गहलोत ने बताया कि राज्य सरकार ने बालोतरा सहित आठ नए जिलों के लिए एक हजार करोड़ का बजट आवंटित किया है। वहीं पचपदरा में रिफाइनरी का निर्माण कार्य भी क्षेत्र के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद मास्टर प्लान के तहत शहर में विकास कार्य धीमी गति से हो रहे है। व्यापारी रमेश कुमार ने बताया कि हर साल नई घोषणाएं होती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता। ऐसे में शहर की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं।
Updated on:
06 May 2025 08:10 pm
Published on:
06 May 2025 08:09 pm