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पैंट उतारने वालों पर भड़के मौलाना तौकीर रजा, पहचान छिपाने वालों को भी दी नसीहत

कांवड़ यात्रा मार्ग पर ‘नेम प्लेट’ विवाद को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। एक तरफ सत्ता पक्ष इसे सही ठहरा रहा है तो दूसरी तरफ विपक्षी दल ने इस फैसले को लेकर सवाल खड़े किए हैं।

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taukeer raza

PC: IANS

इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान ने ‘नेम प्लेट’ लगाने के फैसले का समर्थन किया है। इसके साथ ही उन्होंने मांस की खुली बिक्री का विरोध भी किया।

सरकारी आदेश पर अमल होना चाहिए

कांवड़ यात्रा पर इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान ने गुरुवार को कहा, "सरकारी आदेश का पालन और उस पर अमल होना चाहिए। मैं खुद मांस की खुली बिक्री का विरोध करता हूं, ऐसा नहीं होना चाहिए, खासकर ऐसे मौकों पर जब लोग अपनी आस्था और भक्ति के साथ सड़कों पर उतरते हैं। ऐसे समय में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए, जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों।"

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नेम प्लेट का समर्थन, पहचान छुपाना गलत: रजा

मौलाना तौकीर रजा खान ने नेम प्लेट लगाने के आदेश का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "‘नेम प्लेट’ लगाने के पीछे का असली मकसद क्या है? मुझे लगता है कि इसका मतलब यह है कि आपकी पहचान क्या है। जो लोग अपनी पहचान छिपाते हैं, उनको लेकर मेरा मानना है कि जिस दिन हम अपनी पहचान खुद बताने लगेंगे, उसी दिन से ये लोग चाहेंगे कि हम अपनी पहचान छुपा लें। अपनी पहचान छिपाना खराब बात है और हमें अपनी पहचान जाहिर करनी चाहिए, चाहे वह अपने लिबास से हो या अपनी शक्ल से या फिर अपनी गुफ्तुगू (बातचीत) से हो। नेम प्लेट लगाने के बजाए हमें लोगों को देखकर यह पता चलना चाहिए कि हम कौन हैं। हमें नेम प्लेट क्यों लगानी पड़ रही है? क्योंकि हमने अपनी पहचान को छिपाकर रखा है। मुझे लगता है कि हमें अपनी पहचान जाहिर करनी चाहिए।"

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पैंट उतारने वालों पर भड़के मौलाना

मौलाना तौकीर रजा ने मुजफ्फरनगर में व्यक्ति की पैंट उतारे जाने पर कहा, "हम अपने देश और देशवासियों से प्यार करने वाले अच्छे और सच्चे मुसलमान हैं। हम किसी से नफरत नहीं करते हैं और जिन लोगों को हम पसंद नहीं हैं। चाहे वह सरकार हो या प्रशासन या फिर पुलिस हो, अगर हम उन्हें पसंद नहीं हैं तो उनको बताना चाहिए कि हम क्या करें? मैं इतना ही कहूंगा कि पैंट आतंकवादी उतारें या फिर कोई और उतारे, उनसे बड़ा आतंकी कौन हैं? हाल ही में जो घटना मुजफ्फरनगर में हुई है, असल में आतंकियों ने ही उनसे ही ऐसा करना सीखा है, इसलिए उनसे बड़ा कोई आतंकवादी नहीं है, जो लोगों की पैंट उतारने का काम करता है। और जो लोग अपनी पैंट नहीं उतारना चाहते हैं। मैं सिर्फ यही चाहता हूं कि वह लोग अपनी पहचान के साथ जिंदा रहें। हमें देखकर लोगों को यह पता चल जाना चाहिए कि हम अपने देश से प्यार करने वाले सच्चे और अच्छे मुसलमान हैं।"