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एल्डिको की दीवारों में घिरी झील: एनजीटी का अल्टीमेटम, दस दिन में जवाब दो, नहीं तो होगी कार्रवाई, डीएम बीडीए से कहा…

नैनीताल रोड स्थित एल्डिको सिटी कॉलोनी द्वारा झील पर कब्जे के आरोपों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT), नई दिल्ली ने सख्ती दिखाई है। ट्रिब्यूनल ने एल्डिको कंपनी और बरेली विकास प्राधिकरण को 10 दिन के अंदर विस्तृत जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है।

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बरेली। नैनीताल रोड स्थित एल्डिको सिटी कॉलोनी द्वारा झील पर कब्जे के आरोपों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT), नई दिल्ली ने सख्ती दिखाई है। ट्रिब्यूनल ने एल्डिको कंपनी और बरेली विकास प्राधिकरण को 10 दिन के अंदर विस्तृत जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है।
साथ ही जिलाधिकारी बरेली को 4 दिसंबर को अगली सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से पेश होकर झील की वर्तमान स्थिति बताने का आदेश दिया गया है।

यह मामला सियाराम मंडल द्वारा दाखिल याचिका से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि एल्डिको कंपनी ने नैनीताल रोड पर ग्राम बिलवा, तहसील व जनपद बरेली स्थित गाटा संख्या 508 (क्षेत्रफल 0.126 हेक्टेयर) जो राजस्व अभिलेखों में झील दर्ज है, पर कब्जा कर लिया और उसे कॉलोनी में मिला दिया।

डीएम की रिपोर्ट ने खोला सच, झील के चारों ओर कंपनी की जमीन

डीएम द्वारा दाखिल संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि गाटा संख्या 508 झील के चारों ओर कंपनी की निजी भूमि (गाटा 500, 503, 507 और 509) से घिरा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने अपनी भूमि की अस्थायी चाहरदीवारी झील के चारों ओर खड़ी कर ली है, जिससे झील का क्षेत्र उसी घेरे में आ गया है। हालांकि झील का जलक्षेत्र खाली है, लेकिन कंपनी की चाहरदीवारी के अंदर घिर जाने से उसका जलग्रहण क्षेत्र पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है।

एनजीटी का सख्त रुख: झील का दम घोंटने की इजाज़त नहीं

एनजीटी पीठ के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव (चेयरपर्सन) और डॉ. ए. सेंथिल वेल (एक्सपर्ट मेंबर) ने कहा कि यदि जलग्रहण क्षेत्र बंद कर दिया गया तो झील धीरे-धीरे सूख जाएगी, जो पर्यावरण संरक्षण के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि जलाशय के आसपास का क्षेत्र मुक्त रहना चाहिए। कोई भी निर्माण झील के जीवन के लिए खतरा है।

साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश (Mantri Techzone Pvt. Ltd. केस) का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी झील के चारों ओर 75 मीटर का नो-कंस्ट्रक्शन जोन अनिवार्य रूप से छोड़ा जाना चाहिए, और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस क्षेत्र में कोई भी अवैध निर्माण न हो।

राज्य वेटलैंड प्राधिकरण पर भी नाराज़गी

एनजीटी ने टिप्पणी की कि राज्य वेटलैंड प्राधिकरण को इस मामले में जवाब दाखिल करना चाहिए था, किंतु अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ट्रिब्यूनल ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए कहा कि अगली सुनवाई में इस पर भी स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

डीएम को वर्चुअली पेश होने के निर्देश

एनजीटी ने डीएम बरेली अविनाश सिंह को वर्चुअली उपस्थित होकर झील की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने का आदेश दिया है और कहा कि तब तक जलग्रहण क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए।

अगली सुनवाई 4 दिसंबर को

ट्रिब्यूनल ने सभी संबंधित पक्षों एल्डिको कंपनी, बीडीए, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और जिला प्रशासन को 10 दिन में अपना लिखित पक्ष पेश करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर 2025 को होगी।


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