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बांसवाड़ा के एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट की लागत 50 हजार करोड़ के पार, आखिर कब शुरू होगा?

Banswara : बांसवाड़ा में ‘माही’ एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर अब 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। इसकी अनुमानित लागत करीब 42 हजार करोड़ रुपए थी। आखिर कब शुरू होगा प्रोजेक्ट?

Banswara atomic power project cost has crossed 50 thousand crores Rupees when will it start?
एआइ से बनी फोटो

अनुपम दीक्षित
Banswara :
बांसवाड़ा में ‘माही’ एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट धरातल पर उतरने में देरी की वजह से इसकी लागत बढ़कर अब 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। जब इस परियोजना की परिकल्पना की थी, तब इसकी अनुमानित लागत करीब 42 हजार करोड़ रुपए थी। निर्माण कार्य शुरू होने में कुछ समय और लग सकता है। पूरी परियोजना के आकार लेने में करीब छह-सात साल लग सकते हैं। बांसवाड़ा के दानपुर क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट पूरा करने की जिम्मेदारी अणु शक्ति विद्युत निगम ‘अश्विनि’ को सौंपी गई है। यह कंपनी सितबर, 2024 में गठित हुई थी। इसके पहले सीईओ एसबी जोशी बनाए गए।

हालांकि कंपनी किस स्वरूप में बांसवाड़ा में कार्य करेगी और अन्य परियोजनाएं किस तरह संचालित की जाएंगी, इसकी रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है। वर्तमान में यह परियोजना एनटीपीसी और एनपीसीआईएल के समन्वय से जुड़ी प्रक्रिया के बीच झूल रही है। अधिकारियों का दावा है कि यह स्थिति सितम्बर तक साफ होने के बाद कार्य में तेजी आने की उम्मीद है।

सितम्बर तक खुदाई शुरू करने का लक्ष्य

सितम्बर के अंत तक खुदाई वर्कऑर्डर जारी होने की संभावना जताई गई है। अधिकारियों का दावा है कि तीन माह में कार्य की प्रगति स्पष्ट दिखाई देने लगेगी और छह माह में प्रोजेक्ट सकारात्मक गति पकड़ लेगा। चूंकि इस परियोजना की रिपोर्ट प्रतिवर्ष सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को जाती है, इसलिए जिमेदार एजेंसियों पर अब काम जल्द शुरू करने का दबाव बढ़ा है।

ठिठका रहा काम

जमीन अवाप्ति, फिर कब्जा लेने, पुनर्वास प्रक्रिया के चलते कंस्ट्रक्शन साइट पर मामूली काम हुआ है।

दिसम्बर 2026 में शुरू होगा कंक्रीट ढांचे का निर्माण

बांसवाड़ा जिले में परियोजना से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि दिसबर, 2026 से रिएक्टरों के लिए आवश्यक कंक्रीट ढांचे का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। इसके लगभग साढ़े छह वर्ष बाद बिजली उत्पादन शुरू हो सकेगा। ऐसे में वर्ष 2033 में पहली यूनिट से उत्पादन शुरू होने की संभावना है। दो यूनिटों में कुल 4 रिएक्टर काम करेंगे।

अभी इन चरणों से गुजरना बाकी

1- निर्माण चरण
2- भूमि पर प्रारंभिक कार्य (लेवलिंग, खुदाई)
3- रिएक्टर भवन, टरबाइन हॉल, सुरक्षा बंकर आदि का निर्माण
4- संयंत्र उपकरणों (रिएक्टर, भाप उत्पादक, टरबाइन) की स्थापना
5- परीक्षण एवं निरीक्षण
6- सिस्टम इंटीग्रेशन और ट्रायल रन
7- सुरक्षा निरीक्षण और आपात प्रबंधन योजनाओं की जांच
8- परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) की ओर से अंतिम निरीक्षण और संचालन अनुमति
9- बिजली उत्पादन की शुरुआत
10- यूनिट को ग्रिड से जोड़ा जाना
11- व्यावसायिक स्तर पर विद्युत उत्पादन
12- कर्मचारियों का प्रशिक्षण व क्षमता वृद्धि
13- दिसबर, 2026 में शुरू होगा कंक्रीट ढांचे का निर्माण

चार टीएमसी पानी प्लांट के लिए आरक्षित

जल संसाधन विभाग ने माही बजाज सागर बांध के 4 टीएमसी पानी को इस परियोजना के लिए आरक्षित किया है। परमाणु बिजलीघर में पानी शीतलक (कूलेंट) और भाप उत्पादक के तौर पर काम करता है। यह रिएक्टर में उत्पन्न गर्मी को सोखकर टरबाइन चलाने के लिए भाप में बदलता है, जिससे बिजली उत्पन्न होती है। यह रिएक्टर को अधिक गर्म होने से भी बचाता है।

सटीक लागत अभी बताना जल्दबाजी

परियोजना की सटीक लागत अभी बताना जल्दबाजी होगी, क्योंकि निर्माण सामग्री, तकनीक, मशीनरी और अन्य संसाधनों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। सबकुछ योजना के मुताबिक चला तो 2033 तक दोनों यूनिटों में बिजली उत्पादन शुरू कर देंगे। विश्व स्तरीय मानकों के अनुरूप निर्माण होने के कारण प्रत्येक पहलू की गंभीरता से समीक्षा करेंगे।
सेबी जोशी, सीईओ, अणुशक्ति विद्युत निगम