भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की तैयारियों को आगे बढ़ाते हुए मानव रोबोट व्योममित्रा का वाइब्रेशन और थर्मो-वैक्यूम परीक्षण पूरा कर लिया है। इसी साल के अंत तक पहला मानव रहित मिशन लांच होने की उम्मीद है जिसमें व्योममित्रा को भेजा जाएगा।
इसरो ने वर्ष 2025 को गगनयान वर्ष घोषित किया है और इस मिशन से जुड़े परीक्षण प्राथमिकता के आधार पर पूरे किए जा रहे हैं। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक मानव रहित मिशन गगनयान-1 के लिए क्रू मॉड्यूल के साथ प्रणोदन प्रणाली का इंटीग्रेशन एलपीएससी में पूरा कर विक्रमसाराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) भेज दिया गया गया था। अब, व्योममित्रा का वाइब्रेशन और थर्मो वैक्यूम परीक्षण पूरा कर लिया गया है। क्रू मॉड्यूल के टेलीमेट्री एवं टेलीकमांड प्रणाली, मिशन कंप्यूटर का थर्मो वैक्यूम परीक्षण, ऑन बोर्ड कंप्यूटर और सर्विस मॉड्यूल का वाइब्रेशन परीक्षण भी हो चुका है। मिशन से जुड़े कई और तकनीकी परीक्षणों में भी प्रगति हुई है। कू्र एस्केप सिस्टम से जुड़े कई महत्वपूर्ण परीक्षण पूरे कर लिए गए हैं। कू्र मॉड्यूल के उष्मीय सुरक्षा प्रणाली को परखा जा चुका है। यह अंतरिक्षयात्रियों की धरती की कक्षा में पुन: प्रवेश के समय घर्षण से उत्पन्न अत्यधिक ताप से सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी अहम है। इसके अलावा सर्विस मॉड्यूल का स्टैटिक परीक्षण भी पूरा कर लिया गया है।
अंतरिक्षयात्री कू्र मॉड्यूल के अंदर रहेंगे जो अंतरिक्ष यात्रा के बाद पुन: धरती पर वापस आएगा। इसके लिए कू्र मॉड्यूल के अंदर पृथ्वी जैसा वातावरण सृजित किया जाएगा जो इंसानों के रहने योग्य होगा। इसकी आंतरिक संरचना दबावयुक्त धातु से तैयार की जाएगी जबकि बाह्य संरचना उष्मीय सुरक्षा प्रणाली से लैस होगी। इसी उष्मीय सुरक्षा प्रणाली का परीक्षण कर लिया गया है। इसमें धरती के वातावरण में प्रवेश करते समय घर्षण से उत्पन्न अत्यधिक ताप को सहन करने की क्षमता होगी। कू्र मॉड्यूल को सर्विस मॉड्यूल से जोड़ा जाएगा। सर्विस मॉड्यूल में थर्मल सिस्टम, प्रणोदन प्रणाली, बिजली प्रणाली, एवियोनिक्स सिस्टम और तैनाती तंत्र आदि शामिल हैं। अंतरिक्ष में चक्कर लगाते समय यह कू्र मॉड्यूल के साथ जुड़ा रहेगा और अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। अंतरिक्ष से वापसी के दौरान सर्विस मॉड्यूल, कू्र मॉड्यूल से अलग हो जाएगा। सर्विस मॉड्यूल के अलग होने के बाद कू्र मॉड्यूल की अपनी प्रणोदन प्रणाली सक्रिय हो जाएगी। इस प्रणाली में 100 किलो न्यूटन वाले कुल 12 थ्रस्टर्स लगे हैं जो यान का नियंत्रित अवतरण सुनिश्चित करेंगे। कू्र मॉड्यूल की प्रणोदन प्रणाली में बाई-प्रोपलेंट का प्रयोग किया गया है जो उसे तीन अक्षों से नियंत्रित करेंगे।
इस बीच गगनयान-1 मिशन को लांच करने वाले मानव रेटेड लांच व्हीकल (एचएलवीएम-3) के दूसरे चरण को जोड़ा चुका है। मिशन की तैयारियां एक साथ कई केंद्रों पर चल रही हैं। ठोस मोटर बूस्टर (एस-200) को जोड़ा जा चुका है जबकि, तरल चरण एल 110 और क्रायोजेनिक चरण सी-32 पहले ही श्रीहरिकोटा स्थित लांच परिसर में है। कू्र एस्केप सिस्टम की सभी प्रणालियां भी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंच गई हैं। बेंगलूरु स्थित प्रो.यूआर राव उपग्रह केंद्र में सर्विस मॉड्यूल का इंटीग्रेशन प्रगति पर है।
Updated on:
16 Jun 2025 07:49 pm
Published on:
16 Jun 2025 07:36 pm