CG News: युवाओं में शराब, गांजा से लेकर मेडिकल नशे का लत पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। इस वजह से जहां अपराधों में वृद्घि देखी गई, तो घरेलू विवाद जैसे मामले भी बढ़े हैं। इसी समस्या को देखते हुए बलौदाबाजार में नशामुक्ति केंद्र की स्थापना की गई थी। एक साल में केंद्र में काउंसिलिंग और इलाज करवाने के बाद 115 लोग नशा करना पूरी तरह छोड़ चुके हैं। सामान्य जीवन जी रहे हैं। केंद्र में 11 लोगों का इलाज अभी भी जारी है।
नशामुक्ति केंद्र में एक समय पर 15 लोगों को इलाज किया जाता है। इसमें उन्हें संयमित दिनचर्या के साथ अनुशासन सिखाया जाता है। कई लोग लंबे वक्त से नशे के आदी होने के चलते अपनी नौकरियां गंवा बैठते हैं। कई को काम करना ही नहीं आता। ये लोग समाज में सम्मान के साथ स्थापित हो सकें, इसके लिए इन्हें केंद्र में ही इलेक्ट्रिशियन, स्लीपर, धूपबत्ती बनाने जैसी ट्रेनिंग भी दी जाती है।
इलाज के दौरान दवाइयों के साथ खानपान, मानसिक उपचार, व्यायाम और मनोरंजन जैसी सुविधाएं भी मुहैया करवाई जाती हैं। यहां मनोचिकित्सक और नर्सों के साथ मनोवैज्ञानिक, पियर एजुकेटर और योगा थेरेपिस्ट हैं, जो उपचार करते हुए सामान्य जीवन जीना सीखाते हैं। मनोरंजन के लिए इनडोर गेम्स जैसे कैरम बोर्ड, शतरंज, कार्ड, लूडो, टीवी और स्पीकर माइक का इंतजाम भी है। बता दें कि पिछले साल 1 अगस्त को कलेक्टर दीपक सोनी ने ‘नई दिशा’ अभियान के तहत इस केंद्र की स्थापना की थी।
जिले में इससे पहले नशे की लत छुड़ाने के लिए ऐसी कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। इस कारण नशे के आदी व्यक्ति के परिजनों को अन्य जिलों में भटकना पड़ता था। इससे उन्हें आर्थिक के साथ मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता था। बलौदाबाजार में नशामुक्ति केंद्र शुरु होने से जिलेभर के लोगों को सुविधा मिल रही है। केंद्र में कई नशे के आदी को परिवार उनके साथ लाता है, तो कई लोगों सरपंच, थाना, हैल्पलाइन या आम लोगों के जरिए भर्ती करवाया जाता है।
नशे की लत छुड़ाना कर्मचारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। कई बार नशे का आदी व्यक्ति उत्तेजित होकर कर्मचारियों पर भी हमले कर देता है। इलाज के दौरान दवाइयां देना भी किसी कठिन टास्क जैसा है। कई बार जब दवाइयां इंजेक्शन के रूप में देती होती हैं, तो डॉक्टरों को विपरीत परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है। इस केंद्र की सफलता के पीछे भारत माता वाहिनी योजना का भी बड़ा योगदान है। समूह की महिलाएं लोगों को समझा-बूझाकर और जागरूक कर केंद्र तक भेज रहीं हैं। फिलहाल इस योजना में 125 पंजीकृत समूह हैं।
Updated on:
02 Aug 2025 10:32 am
Published on:
02 Aug 2025 10:31 am