
शक्कर कारखाने को 16 साल में 100 करोड़ का घाटा(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के दंतेश्वरी मईया सहकारी शक्कर कारखाना को निर्माण से लेकर अब तक 16 वर्षों में लगभग 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा घाटे में है। कारखाना में पर्याप्त गन्ने की पेराई व शक्कर का उत्पादन नहीं हो रहा है। इस वजह से लाभ नहीं हो रहा है।
कारखाना प्रबंधन की माने तो कुछ साल से हर साल लगभग 10 से 12 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। कारखाना प्रबंधन व गन्ना उत्पादक किसानों के अनुसार घाटा होने की सबसे बड़ी वजह सरकार का धान की फसल को बढ़ावा देना है। धान का समर्थन मूल्य लगातार बढ़ाया जा रहा है। गन्ना किसानों व गन्ना फसल पर रुचि नहीं लेना है।
जिले में कुछ वर्षों से लगातार गन्ना उत्पादक किसानों की संख्या में कमी होती जा रही है। यही हाल रहा तो कुछ वर्षों में शक्कर कारखाना में ताला लगाने की स्थिति निर्मित हो जाएगी। वहीं सत्र 2035-26 में गन्ना पेराई सीजन के लिए कारखाना में तैयारी शुरू हो गई है।
कारखाना में उत्पादित शक्कर की बाहर बिक्री नहीं होती बल्कि शासकीय उचित मूल्य के दुकानों में ही सप्लाई होती है, इसलिए जो मूल्य मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाता।
दिसंबर के दूसरे सप्ताह से गन्ना पेराई सत्र शुरू होना संभावित है। बीते साल 70 हजार मीट्रिक टन गन्ना पेराई का लक्ष्य था, जो पूरा नहीं हुआ। किसानों की संख्या व गन्ने के रकबे की कमी को देखते हुए इस साल 65 हजार मीट्रिक टन गन्ना पेराई का लक्ष्य है।
इस सत्र जिले में मात्र 1103 किसानों ने 938 हेक्टेयर में ही गन्ने की फसल ली है। बीते सत्र में 1062 किसानों ने 1219 हेक्टेयर में गन्ने की फसल ली थी। साल 2009 में कारखाना का संचालन शुरू हुआ, उस समय जिले में 17 सौ से अधिक किसान गन्ने की खेती करते थे। धीरे -धीरे किसानों ने गन्ने में रुचि लेना कम कर दिया।
किसान छगन देशमुख की माने तो 7 वर्षों से गन्ने के समर्थन मूल्य में कोई वृद्धि नहीं हुई है। आज भी 355रुपए गन्ना का समर्थन मूल्य है। जबकि अन्य फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि हुई है।
दिसम्बर से कारखाना में गन्ना पेराई शुरू होगी, जिसके लिए कारखाना में मेंटेनेंस कार्य शुरू हो चुका है और 70 प्रतिशत कार्य भी पूरा हो चुका है। कारखाना में रिकवरी दर बढ़ाने का प्रयास जारी है। गन्ना उत्पादन में कमी के कारण कारखाना क्षमता अनुरूप पेराई नहीं होती, जिसके कारण लक्ष्य पूरा करने में परेशानी होती है।
गन्ना उत्पादक संघ के जिला संरक्षक छगन देशमुख ने बताया कि किसानों ने प्रदेश स्तर पर शासन से गन्ना का समर्थन मूल्य बढ़ाने कई बार मांग की, लेकिन आज तक कोई पहल शासन से नहीं हुई। शासन की उपेक्षा की वजह से किसान गन्ना को छोड़ अन्य फसलों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
इस साल गन्ना किसानों की संख्या भी घटी है। हर साल कारखाना को लगभग 10-12 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। कारखाना में पर्याप्त गन्ना पेराई और शक्कर उत्पादन होगा, तभी लाभ दिखेगा।
Published on:
30 Oct 2025 12:30 pm
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