अपार संभावनाएं लिए बालाघाट जिले में पर्यटन और दार्शनिक स्थलों की कमी नहीं है। एक ऐसी ही तस्वीर पेश करता है, बालाघाट का डोंगरगांव। यहां प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य के बीच पहाड़ों की रहस्यमयी गुफाओं में प्राकृतिक शिवलिंग विद्मान है। जिसे गुप्तेश्वर महादेव धाम के नाम से जाना जाता है। जिले के किरनापुर जनपद क्षेत्र में आदिवासी बाहुल्य डोंगरगांव से जंगल का कच्चा सडक़ों भरा सफर तय कर महादेव पहाड़ी पहुंचना होता है। पहाड़ी पर चढऩे भक्तों ने करीब 200 सीढिय़ों का निर्माण किया है। पूरे सफर के दौरान प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य वहीं पहाड़ी से नीचे कल-कल ध्वनि से बहता झरना एक अलग ही सुकून प्रदान करता है। पहाड़ी पर ही समिति ने एक शिवलिंग स्थापित किया है, वहीं कुछ फिर नीचे माता मंदिर है। जहां श्रद्धालु पूजा अर्चना किया करते हैं।
रहस्यमयी शिवलिंग के दर्शन करने श्रद्धालुओं को पहाड़ी चढऩे के बाद गुफाओं का कठिन सफर करना होता है। सैकड़ों फीट अंदर पत्थरों की गुफा और सुरंगों से गुजरने के दौरान पर्यटकों को धार्मिक ग्रंथों जैसी उल्लेखित आकृति और कलाकृतियां नजर आती है, जो कि शेष नाग, त्रिशूल, गौथन की तरह नजर आते हैं। यह सब श्रद्धालुओं की आस्था को बढ़ाते हैं। श्रद्धालुओं में मानता है कि यहां महादेव ने कैलाश पर्वत जैसा अपना धाम बसाया है।
जिला मुख्यालय से गुप्तेश्वर धाम पहुंचने के लिए दो मार्ग है। बालाघाट से नवेगांव नेत्रा होते हुए या सालेटेकरी होते हुए पहले हट्टा पहुंचना होता है। इसके बाद मानागढ़ सुसवा के आगे डोंगरगांव स्थित है। यहीं से करीब चार- पांच किमी. की सीमेंट सडक़ फिर पथरीला रास्ता है। यहां बारिश के दिनों में आवागमन प्रभावित रहता है। मंदिर तक पहुंचने इसी कच्चे मार्ग को पैदल पूरा करना पड़ता है।
प्राचीन समय से अद्भुत और रहस्यमयी यात्रा के लिए प्रसिद्ध गुप्तेश्वर महादेव के धाम को लेकर यहां के भक्तों में गहरी आस्था है। प्रकृति की वादियों, पहाड़ों से घिरे इस धाम में अनेकों चमत्कार के दावे भी किए जाते हैं। बालाघाट ही नहीं बल्कि देश भर में गुप्तेश्वर महादेव के इस धाम को आस्था और पर्यटन के लिहाज से खास माना जाता है। भक्तों की मानें तो हैरान करने वाली गुप्तेश्वर महादेव की रहस्यमयी यात्रा वाले इस सिद्ध धाम में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
Published on:
27 Jul 2025 08:26 pm