बालाघाट. नक्सल प्रभावित क्षेत्र उकवा से लांजी के सडक़ से सीधा जुडऩे का सपना पीढिय़ों से लोग देख रहे हैं, लेकिन अब तक यह अधूरा है। वर्ष 2010 में उकवा से डाबरी करीब 44 किमी जुड़ा पर सात वर्ष पूर्व आरसीपीएलडब्लूई योजना से डाबरी से लांजी तक सडक़ निर्माण की जगी उम्मीद अधूरी ही रह गई। 28 फरवरी 2018 को निविदाकार मेंसर्स संजय अग्रवाल को वर्क आर्डर जारी हुआ। 27 अगस्त 2019 तक सडक़ निर्माण करना था।
धरातल पर गौर करें तो 35.60 किमी की सडक़ का निर्माण करीब 20.10 करोड़ रुपए से होना था। 8.14 करोड़ रुपए खर्च कर एक किमी कांक्रीट एवं 19 किमी डामर सडक़ निर्माणदायी कंपनी ने बनाया पर घटिया कार्य होने से प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अधिकारियों ने उक्त पैकेज का अनुबंध 30 नवंबर 2021 को निरस्त कर दिया।
इसके विरुद्ध निर्माणदायी कंपनी ने उच्च न्यायालय जबलपुर से स्थगन आदेश ले लिया। उसने कार्य पूरा करने की बात कही तो उसे पुन: मौका दिया गया। ऐसा दो बार हुआ। सडक़ को पूरा बनाने पुन: निविदा आमंत्रित किया गया तो निर्माणदायी कंपनी एक बार फिर न्यायालय से स्थगन आदेश ले ली है।
अतिनक्सल प्रभावित 200 गांव के लोग परेशान
जनपद पंचायत परसवाड़ा, बिरसा, बैहर व लांजी विकासखंड के करीब 200 से अधिक अतिनक्सल प्रभावित ग्राम के लिए यह सडक़ महत्वपूर्ण है। उकवा से डाबरी तक सडक़ करीब 15 वर्ष पूर्व बनकर तैयार हुई तो आधी समस्या हल हो गई। लेकिन अब तक डाबरी से लांजी तक सडक़ नहीं बनने से आधी समस्या बरकरार हे। हजारों लोग परेशान है। 10 मई को सूबे के पंचायत व ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रह्लाद पटेल जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत देव नदी के उद्गम स्थल चैरिया पहुंचे थे। लोगों ने उनका ध्यान आकृष्ट कराया था।
वर्जन - निविदा की प्रक्रिया चल रही थी। इसबीच ठेकेदार ने पुन: न्यायालय से स्टे ले लिया। न्यायालय से त्वरित सुनवाई के लिए अपील की गई है। - मृणाल मीना, कलेक्टर
वर्जन - मैंने उक्त सडक़ को अपनी प्राथमिकता में रखा है। मेरा प्रयास है कि त्वरित सुनवाई कर न्यायालय निविदा प्रक्रिया के लिए आदेश करें। पूर्व में जो हुआ इस बार उसकी पुनरावृत्ति न हो ऐसा प्रयास करेंगे। - तोमेंद्र सिंह, महाप्रबंधक प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना बालाघाट
Published on:
28 Jul 2025 06:14 pm