बिहार राज्य के बौद्ध गया स्थित महाबोधि महाविहार प्रबंधन को बौद्ध समाज के सुपुर्द करने और महाबोधि प्रबंधन के लिए पूर्व में बनाए गए बीटीएमसी 1949 कानून को रद्द करने की प्रमुख मांग को लेकर 10 जुलाई से जिला मुख्यालय में बौद्ध अनुयायी धरना प्रदर्शन कर रहे है। चौथे दिन रविवार को प्रशासनिक आदेश पर अनुयायियों ने स्थान अंबेडकर चौक से बदलकर जनपद कार्यालय के समक्ष कर दिया गया है। चार दिनों से जारी इस धरना प्रदर्शन के बाद 13 जुलाई से अब अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल भी शुरू कर दी गई है।
बौद्ध अनुयायियों ने बिहार की सरकार पर बौद्ध धर्म के विधि विधान व पूजा पद्धति में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। बिहार राज्य सरकार पर जान बूझकर बौद्धों को उनके हक और अधिकारों से वंचित किए जाने की बात कही। विरोध स्वरूप पूज्य बदंत धर्मशेखर ने रविवार सुबह 10 बजे से नवीन धरना स्थल के सामने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। जिन्होंने स्पष्ट कर दिया कि जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनकी यह भूख हड़ताल जारी रहेगी।
प्रदर्शनकारियों ने बिहार राज्य की सरकार पर बोधगया स्थित महाबोधी महाविहार मुक्ति आंदोलन को लेकर आवाज बुलंद करने वाले बौद्ध अनुयायियों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करने का आरोप भी लगाया। स्पष्ट किया कि वहां की राज्य सरकार बौद्ध धर्म के विरोध में काम कर रही है। महाबोधि महाविहार कि प्रबंधन कमेटी बीटी एक्ट को समाप्त नहीं किया जा रहा है, वही इसी एक्ट की आड़ में पवित्र स्थल महाबोधि महाविहार के स्वरूप व वहां की पूजा पद्धति को बदलने का भी प्रयास किया जा रहा है। विरोध करने वालों के खिलाफ वहां की सरकार फर्जी मुकदमे दर्ज कर उन्हें परेशान करने का काम कर रही है। बीटीएमसी एक्ट को समाप्त करने बौद्ध अनुयायियों ने जमकर नारेबाजी भी की।
Published on:
13 Jul 2025 08:51 pm