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राज्यपाल पद पर रहते हुए भी किसानों के हक की लड़ी थी लड़ाई, बागपत के बेबाक राजनेता का निधन

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज दिल्ली के अस्पताल में निधन हो गया। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। 79 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया है।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज दिल्ली में निधन हो गया, PC - Patrika Team

बागपत: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज दिल्ली के अस्पताल में निधन हो गया। वह यूपी के बागपत के रहने वाले थे और बेबाक नेता के तौर पर उनकी पहचान थी। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। 79 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया है।

सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावड़ा गांव में हुआ था। 1968-69 में छात्र नेता के रूप में उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी। किसान नेता चौधरी चरण सिंह के करीबी रहे मलिक ने 1974 में बागपत से विधायक बन पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद चरण सिंह की पार्टी लोक दल से राज्यसभा तक पहुंचे और फिर 1984 में कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य बने।

बोफोर्स घोटाले के बाद छोड़ी कांग्रेस

राजीव गांधी सरकार में बोफोर्स घोटाले के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और जनता दल में शामिल हो गए। 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता और वीपी सिंह सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री (पर्यटन और संसदीय कार्य) बनाए गए।

2004 में वह बीजेपी में शामिल हुए और अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी के रूप में गिने गए। हालांकि लोकसभा चुनाव में उन्हें रालोद प्रमुख अजित सिंह से हार मिली। मोदी सरकार में उन्हें भूमि अधिग्रहण पर बनी संसदीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया। 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल और फिर 2018 में जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

उनके कार्यकाल में ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। इसके बाद उन्हें गोवा और फिर मेघालय का राज्यपाल भी बनाया गया। लेकिन राज्यपाल पद से हटने के बाद सत्यपाल मलिक मोदी सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे।

भ्रष्टाचार के खिलाफ बेबाक, आरएसएस और अंबानी तक पर लगाए आरोप

मलिक ने जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल रहते हुए कहा था कि उनके सामने दो फाइलें आईं—एक अंबानी से जुड़ी और दूसरी आरएसएस पदाधिकारी से। उन्हें 300 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने ठुकरा दी। उन्होंने कहा था, 'मैं पांच कुर्ते लेकर आया हूं, उन्हीं के साथ जाऊंगा।' इस खुलासे के बाद सीबीआई जांच हुई और एफआईआर दर्ज हुई। मलिक ने कई बार कहा कि वह घोटालों के खिलाफ खड़े रहे हैं, चाहे वह कोई भी पार्टी हो।

किसानों की आवाज बने, मोदी सरकार पर बोला हमला

2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान मलिक सरकार की आलोचना करते हुए किसानों के समर्थन में खुलकर सामने आए। उन्होंने कहा कि “किसानों को अपमानित कर आप उन्हें घर नहीं भेज सकते, आपको बातचीत करनी चाहिए।” उन्होंने बागपत, जयपुर और बुलंदशहर में मंचों से बार-बार किसान हितों की बात की।

अग्निपथ योजना का भी किया विरोध : राज्यपाल पद से हटने के बाद मलिक ने केंद्र की ‘अग्निपथ योजना’ की भी तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा था कि यह योजना युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

बागपत को फिर से सक्रिय राजनीति में बनाने की थी कोशिश

माना जाता है कि जम्मू-कश्मीर से हटाए जाने के बाद मलिक खुद को जाट नेता के रूप में दोबारा स्थापित करने की योजना बना रहे थे। कई बार उन्होंने संकेत दिए कि वह फिर से चुनावी राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं। बागपत से उनका विशेष लगाव हमेशा बना रहा।

एक नजर में सत्यपाल मलिक के सियासी सफर पर

  • 1974: उन्होंने पहली बार बागपत से विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।
  • 1980: वे लोक दल पार्टी से राज्यसभा सदस्य बने।
  • 1986: उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में राज्यसभा में प्रवेश किया।
  • 1989: वे अलीगढ़ से सांसद चुने गए और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री का पद संभाला।
  • 2004: वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हुए।
  • 2017: उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
  • 2018: उन्हें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी गई।
  • 2019: वे गोवा के राज्यपाल बने।
  • 2020: उन्हें मेघालय के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 2022: राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ और इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करना शुरू कर दिया।