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बाढ़ के बाद तबाही का मंजर, 40 घर गिरे, कई घरों में अब भी पानी भरा, देखें ग्राउंड रिपोर्ट

Devastation Scene After Flood : सिंध नदी में बाढ़ के बाद पौरुखेड़ी पंचायत के शाजापुर तिघरी गांव में तबाही का मंजर नजर आया। पत्रिका ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर यहां के भयावह हालात दिखाने का प्रयास किया है।

Devastation Scene After Flood
बाढ़ के बाद तबाही का मंजर (Photo Source- Patrika Input)

Devastation Scene After Flood :मध्य प्रदेश के अशोकनगर, शिवपुरी, गुना समेत आसपास के बड़े इलाके में बीते 72 घंटे से जारी बारिश का दौर गुरुवार को थोड़ा थम गया है। लेकिन, बारिश के चलते आई बाढ़ के हालात सामान्य होने के बाद जो तस्वीरें सामने आईं हैं, वो बेहद हैरान कर देने वाली हैं। यहां उफान पर आई सिंध नदी ने किस तरह तबाही मचाई है, इसका अंदाजा हम अशोकनगर के पौरुखेड़ी पंचायत के शाजापुर तिघरी गांव से लगा सकते हैं।

तिघरी में सिंध नदी के रौद्र रूप का भयावह मंजर दिखाई दिया, जिसका परिणाम ये रहा कि, नदी के बहाव से यहां करीब 40 कच्चे घर धराशाई हो गए, जबकि इसी गांव के 20 घरों में आज भी पानी भरा हुआ है। हालात ये हैं कि, यहां बीते दो दिन से ग्रामीण सोए तक नहीं हैं, जिनकी आंखों में नींद की वजाय तबाही के आंसू दिख रहे हैं। स्थिति यह है कि घर छोड़ लोग ट्रालियों में सामान भरकर दूसरों के घरों व सडक़ों पर डेरा डाले हुए हैं।

बेहद खराब हैं यहां हालात

ईसागढ़ क्षेत्र में 24 घंटे में 245 मि.मी बारिश हुई, तो सिंध नदी के उफान से बाढ़ आ गई। जहां चार-पांच गांव नदी से घिरे हुए हैं। पत्रिका ने स्थिति जानी तो तबाही की ये तस्वीर दिखी। पौरुखेड़ी गांव तो नदी से चारों तरफ से घिरा हुआ है, इससे आदिवासी बस्ती खाली कराकर पंचायत ने लोगों को शाजापुर तिघरी गांव में लोगों को पहुंचाया।

दो दिन से सोए तक नहीं कई गांव

शाजापुर तिघरी के पास भी करीब दो हजार बीघा से अधिक खेत जलमग्न दिखे। गांव के लोधी मोहल्ला और केवट मोहल्ला पानी में डूबे हुए हैं। घरों की मिट्टी की दीवारें गलकर मिट्टी में मिल गईं और लकड़ी के गेट पर छप्पर जमीन पर पड़े दिख रहे हैं। रास्तों पर अनाज बहता नजर आ रह है। तबाही का ऐसा मंजर कि, दो दिन से गांव सोया तक ही नहीं है।

कीचड़ में धंसी गृहस्थी, ओढ़ने-पहनने के कपड़े तक बह गए

पुन्नालाल केवट, कल्ला केवट, गोधा केवट, विश्वीर, बलवीर, पवन, रामसेवक, मनोज, परमाल, भागचंद, संतोष अमित, जसपाल लोधी, सीताराम बघेल और पहलवान के मकान घरासाई हो गए हैं। जो स्कूल भवन में शरण लिए हुए हैं। इनकी तरह लगभग आधा गांव दूसरों के घरों में रुका हुआ है। बर्तन, गृहस्थी का सामान, बच्चों के खिलौने, अन्य सामग्री कीचड़ में धंसी है। लोगों के पास पहनने ओढ़ने तक के कपड़े नहीं बचे। जिन पक्के घरों से पानी उतरा उनमें कीचड़ जमा है तो लोग कीचड़ निकालने जुटे हुए हैं। जबकि, इनकी गृहस्थी भी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।

ट्रैक्टर-ट्रालियों में रह रहे कई लोग, ताकि फिर पानी बढ़े तो भाग सकें

गांव के उपसरपंच संजीव रघुवंशी ने पत्रिका टीम को बताया कि, दो दिन से यहां पानी भरा है। 20 घर अब भी डूबे हुए हैं। जबकि, 40 से 45 घर गिर चुके हैं। लोगों ने गृहस्थी का सामान ट्रालियों में भरकर दूर रख लिया है, ताकि यदि पानी बढ़े तो वह सामान लेकर भाग सकें। फसलें भी तबाह हो गईं। बुधवार को पूर्व जिपं अध्यक्ष मलकीतसिंह संधु इस गांव पहुंचे और ग्रामीणों से मुलाकात की। मलकीतसिंह संधु ने कहा कि वह मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री से ग्रामीणों को नुकसान के मुआवजा की मांग करेंगे।

पीड़ितों ने बयां किया दर्द

-घर गिरा तो रहने की जगह तक नहीं, 5 क्विंटल अनाज तक बह गया

गांव के रहने वाले प्रकाश लोधी का दो कमरों का कच्चा घर नदी के बहाव में बह गया। जल्दी जल्दी में जो सामान बहाव में पकड़ आ गया, बस वही बच सका है। पांच क्विंटल अनाज बह गया। एक पीएम आवास है, जिसमें आधे में परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं। गृहस्थी का सामान ऊंचाई पर रख दिया है, कूलर और अन्य सामान में मिट्टी भर गई। आंगन में 25-30 बकरियों को घेर परिवार के दो सदस्य रखवाली कर रहे हैं कि, वह बह न जाएं। फिलहाल, प्रकाश लोधी ने अपने बच्चों के साथ गांव के स्कूल में शरण ले रखी है।

-घर में 4 फीट पानी भरा, पूरी गृहस्थी के साथ 300 क्विंटल अनाज बर्बाद

रामवीर सिंह रघुवंशी का पक्का मकान बस्ती से थोड़ा दूर खेत में बना है। बाढ़ का पानी भरा तो घर खाली करके परिवार के अन्य लोगों के साथ प्रभावित क्षेत्र से बाहर निकलकर खड़े हो गए। कुछ ही देर में घर करीब 4 फीट तक पानी में डूब गया, वाहनों में भी पानी और मिट्टी भर गया है। घर में रखा 300 क्विंटल अनाज भीगकर खराब हो गया। अब भी घर तक पहुंच पाना संभव नहीं है। इलाके के अन्य घरों के भी ये ही हालात हैं।

-निर्माणाधीन घर में सेंटिंग के बीच डेरा, भूसा बह गया

यशपाल सिंह रघुवंशी के घर में कल से पानी भरा था, जिसके निकलने पर हर जगह सिर्फ कीचड़ और गंदगी बाकी है। दो पक्के कमरे हैं, जिनमें सेंटिंग लगी है। क्षेत्र में बिगड़ते हालात को देखकर जल्दी जल्दी में इन्ही निर्माणाधीन कमरों में सेंटिंग के बीच जितना संभव हो सका सामान रखा। अब सिर्प वही सामान बाकी है, बाकि पास के दो पुराने कमरे पूरी तरह डूब गए। मवेशियों का भूसा बह गया। यहां तक की घर में लगे पेड़ तक बाढञ में उखड़कर बह गए।