CG News: बलरामपुर जिले में अभी भी कई ऐसे गांव हैं जो सडक़, पानी, पुलिया जैसे मुलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। यदि समय पर उन्हें अस्पताल पहुंचना हो तो घंटों लग जाते हैं। ऐसा ही एक मामला जिले के रघुनाथनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सोनहत के पंडोपारा बस्ती से सामने आया है। ( CG News ) यहां प्रसव पीड़ा से तड़प रही गर्भवती महिला को 4 किलोमीटर पैदल चलकर सडक़ तक पहुंचना पड़ा। इस बीच रास्ते में ही उसने बच्चे को जन्म दिया। 4 किमी पैदल चलने के बाद बाइक पर बैठकर 10 किमी दूर अस्पताल पहुंची। परिजन ने एंबुलेंस को भी कॉल किया था लेकिन नहीं पहुंची। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन ने भी लापरवाही बरती। इससे स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की भी पोल खुल गई है।
बताया जा रहा है कि पंडोपारा बस्ती तक पहुंचने के लिए सडक़ ही नहीं है। रास्ते में नाला पड़ता है लेकिन उस पर पुल नहीं बना है। ऐेसे में महतारी एक्सप्रेस उसके गांव तक नहीं पहुंच सका। प्रसव पीड़ा से तड़प रही गर्भवती महिला व उसके परिजन के सामने पैदल चलने के अलावा दूसरा कोई और रास्ता नहीं था। अब महिला के 4 किमी पैदल चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मामला 3-4 दिन पहले का है।
बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सोनहत के पंडोपारा निवासी 28 वर्षीय मानकुंवर पंडो पति केश्वर चौथी बार गर्भवती हुई थी। 3 दिन पूर्व उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। इस पर पति ने एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन बताया गया कि एक एंबुलेंस बलरामपुर जबकि दूसरा काफी दूरी पर है। ऐसे में उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पाई। इसके बाद परिजन गर्भवती मानकुंवर को पैदल ही 14 किमी दूर रघुनाथनगर अस्पताल के लिए निकल गए। रास्ते में प्रसव पीड़ा बढऩे पर साथ रही 2 महिलाओं ने खुले आसमान के नीचे उसका प्रसव कराया। इसके बाद उन्होंने बच्चे को साथ लेकर नाला पार किया।
डिलीवरी के बाद प्रसूता सडक़ तक पहुंची, फिर परिजन उसे यहां से 10 किमी बाइक पर बैठाकर रघुनाथनगर अस्पताल पहुंचे। इसकी जानकारी जब वाड्रफनगर बीएमओ डॉ. हेमंत दीक्षित को मिली तो उन्होंने जच्चा-बच्चा को वाड्रफनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। बताया जा रहा है कि बच्चे का वजन 2 किलोग्राम है। बच्चे को विशेष निगरानी में रखा गया है।
इस मामले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन की लापरवाही भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि किसी भी महिला के गर्भवती होने पर उस क्षेत्र में पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन द्वारा उसकी समय-समय पर समुचित जांच व टीकाकरण के अलावा पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की जाती है। वहीं प्रसव का समय नजदीक आने पर विशेष ख्याल रखना होता है, लेकिन दोनों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। ऐसे में गर्भवती व उसके परिजन को परेशानी उठानी पड़ी।
ग्रामीणों का कहना है कि पंडोपारा बस्ती में वाहन पहुंचने तक के लिए सडक़ नहीं है। नाला पर पुलिया भी नहीं है। ऐसे में बारिश के दिनों में परेशानी और बढ़ जाती है। लंबे समय से वे इसका दंश झेल रहे हैं। सबसे अधिक मुसीबत का सामना उन्हें किसी का स्वास्थ्य खराब होने पर करनाा पड़ता है।
Published on:
05 Aug 2025 07:41 pm