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Big fraud: पूर्व कुलपति एक साथ लेते रहे पेंशन और वेतन, अब 54 लाख की होगी रिकव्हरी, भेजा गया पत्र लौटा

Big fraud: संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 4 महीने पहले भेजे गए पत्र में पूर्व कुलपति अशोक सिंह से अतिरिक्त 54 लाख रुपए की रिक्वहरी करने कहा

Big fraud
Sant Gahira Guru Vishwavidyala Surguja (Photo- Patrika)

अंबिकापुर. संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अशोक सिंह को 54 लाख 3 हजार 428 रुपए अधिक भुगतान किया गया है। वे एक साथ पेंशन और वेतन (Big fraud) ले रहे थे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब उक्त रकम की रिकवरी के लिए पूर्व कुलपति को पत्र लिखा है। लेकिन स्थायी पते पर उनके नहीं होने के कारण पत्र वापस हो गया है। दरअसल नियम अनुसार सेवानिवृत्त होने पर सर्विस में बने रहने के लिए वेतन से प्राप्त पेंशन की राशि घटाकर भुगतान किया जाना था। लेकिन पेंशन राशि की कटौती के बिना भुगतान कर दिया गया था।

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के कुल सचिव एसपी त्रिपाठी ने बताया कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का पत्र 19 मार्च 2025 को प्राप्त हुआ है। इसमें बताया गया है कि संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अशोक सिंह की सेवा शर्त में उल्लेख है कि वेतन से प्राप्त पेंशन की राशि घटाकर भुगतान (Big fraud) किया जाना था।

वहीं 28 मार्च 2025 को पीपीओ (पेंशन पेमेंट ऑर्डर) की भी प्रति प्राप्त हुई है। पूर्व कुलपति के कर्तव्य अवधि दिनांक 3 अगस्त 2021 से 19 अक्टूबर 2024 तक पीपीओ के अभाव में पेंशन राशि की कटौती के बिना 54 लाख 3 हजार 428 रुपए का भुगतान कर दिया गया था।

इस मामले (Big fraud) में संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय ने पूर्व कुलपति को पत्र लिखकर पीपीओ के अभाव में उन्हें किए गए अधिक भुगतान की राशि को विवि के खाते में जमा करने को कहा है।

कार्यकाल के दौरान दोनों राशि का लिया लाभ

कुल सचिव ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति शासकीय कार्य से सेवानिवृत होने के बाद जब किसी सर्विस में आता है तो यह शर्त रहती है कि वेतन से प्राप्त पेंशन की राशि को घटाकर भुगतान किया जाएगा। पूर्व कुलपति अशोक सिंह इसी सेवा शर्त पर थे। लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान दोनों राशि का लाभ (Big fraud) लिया है।

Big fraud: भेजा गया पत्र हो गया वापस

कुल सचिव एसपी त्रिपाठी ने बताया कि मैंने पूरी रिकवरी (Big fraud) तैयार कर पूर्व कुलपति को पत्र उनके स्थाई पते बनारस भेजा था। लेकिन उनके नहीं मिलने पर पत्र वापस आ गया है। पुन: पत्र भेजा जाएगा। इसके बावजूद कोई ठोस जवाब नहीं मिलता है तो विश्वविद्यालय को अवगत कराया जाएगा। अंतत: अगर राशि शासन को वापस नहीं करते हैं तो एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।