अलवर.
नगर निगम क्षेत्र में 65 वार्ड ही रहेंगे। वार्डों की संख्या बढ़ाकर 70 करने संबंधी परिसीमन का प्रस्ताव राज्य सरकार ने नामंजूर करते हुए लौटा दिया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि वार्डों की संख्या 70 करने का कोई औचित्य नहीं है।
नगर निगम का परिसीमन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में वर्ष 2019 में किया गया था। उस समय वार्डों की संख्या 55 से 65 कर दी गई थी। इसका विरोध भी हुआ, लेकिन राजनीतिक लाभ के चलते इसे मंजूरी दे दी गई थी। वार्डों की संख्या बढ़ाने से हर वार्ड की आबादी कम हो गई। किसी वार्ड में 4 हजार तो किसी में 5 हजार वोटर रह गए, जबकि प्रदेश के दूसरे निकायों में एक वार्ड में जनसंख्या 15 हजार तक भी है। उल्लेखनीय है कि निकायों के चुनाव नवंबर-दिसंबर में कराए जाने प्रस्तावित हैं।
संतोषजनक नहीं मिली टिप्पणियां
नगर निगम की ओर से परिसीमन प्रस्ताव तैयार करने से पूर्व कमेटी गठित कर आपत्तियां मांगीं गई थीं। करीब 45 आपत्तियां आईं। कुछ निवर्तमान पार्षदों ने कहा कि वार्डों की संख्या बढ़ाने से वार्ड और छोटे हो जाएंगे। गली व सड़कों को ध्यान में रखते हुए वार्ड की सीमाएं तय होनी चाहिएं, काल्पनिक सीमाएं ठीक नहीं। सूत्रों का कहना है कि इन आपत्तियों पर टिप्पणी ठीक से नहीं दी गई, जिससे सरकार की कमेटी संतुष्ट नहीं हो पाई और प्रस्ताव संशोधन करने के लिए लौटा दिया गया। दरअसल, राजनीतिक दल नए चेहरों को राजनीति में फिट करने के लिए वार्डों की संख्या बढ़ाते हैं।
वार्डों की आबादी का मानक होना चाहिए तय
राजस्थान में नगर निगमों में वार्ड की जनसंख्या निर्धारण के लिए कोई निश्चित जनसंख्या सीमा नहीं है। हालांकि वार्डों की सीमा निर्धारित करते समय जनसंख्या के अनुपात को ध्यान में रखा जाता है, ताकि प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या लगभग समान रहे। आनुपातिक सीमा से 10 प्रतिशत तक जनसंख्या अधिक या कम हो सकती है। जानकारों का कहना है कि इसके लिए मानक तय होने चाहिए।
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वार्डों के परिसीमन के प्रस्ताव का फिर से अध्ययन किया जा रहा है। जल्द ही इसे फाइनल करके सरकार को भेजा जाएगा।
-जीतेंद्र सिंह नरूका, आयुक्त, नगर निगम
Published on:
05 Jun 2025 04:42 pm