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जानें कौन है शोभाराम गहरवाल, जिन्होंने 11 साल की उम्र में टोली बनाकर नेताओं के पास पहुंचाई डाक और बनाए बम

दे दी हमें आजादी: 1934 में महात्मा गांधी की आनासागर बारादरी पर सभा हुई, तब घर-घर खादी का प्रचार किया। शोभाराम को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल में डाल दिया। अंग्रेजों ने बेंतों से पीटकर क्रांतिकारियों के नाम पूछे, लेकिन उन्होंने जुबान नहीं खोली।

शोभाराम गहरवाल (1926) फोटो: पत्रिका

Freedom Fighter Shobharam Gaharwar: आजादी की जंग में शोभाराम गहरवाल ने 11 साल की उम्र में टोली बनाकर नेताओं तक डाक पहुंचाने और बम-रिवॉल्वर बनाने का काम किया और लोगों को प्रेरित किया।

1937 में जब स्वाधीनता आंदोलन जोरों पर था, तब रामनारायण चौधरी की अगुवाई में 11 साल के शोभाराम आजादी के आंदोलन के लिए बनी बच्चों की टोली में शामिल हो गए। बच्चों को शहर और आसपास के इलाकों में क्रांतिकारियों और नेताओं की डाक भेजने, परिवार तक समाचार पहुंचाने का जिम्मा सौंपा गया।

अरावली नाग पहाड़ जैसे दुर्गम इलाकों में शोभाराम ने रिवॉल्वर चलाना और टाइम बम बनाना सीखा। उन्हें क्रांतिकारियों तक वाराणसी , प्रयागराज, दिल्ली, मेरठ, कानपुर तक हथियार पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। वे पगडंडियों और दुर्गम रास्तों में पैदल चलकर हथियार पहुंचाते और बम फोड़कर वापस लौट आते थे। इतिहासकार हरविलास शारदा ने शोभाराम की गिरफ्तारी पर अंग्रेज कमिश्नर के पास जाकर खरी-खोटी सुनाई। तब उन्हें छोड़ा।

… लेकिन पीछे नहीं हटूंगा

शोभाराम गहरवाल प्रयागराज में पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिले। तब नेहरू ने कहा, छोटी उम्र में बम और रिवॉल्वर चला रहे हो। अंग्रेजों ने पकड़ लिया तो क्या करोगे। गहरवाल बोले.. रिवॉल्वर से पहले तो अंग्रेजों को मारूंगा और अंतिम गोली खुद को मार लूंगा… लेकिन पीछे नहीं हटूंगा।

एक बार चंद्रशेखर आज़ाद अजमेर आए। उन्होंने मुझे रिवॉल्वर चलाते देखा तो पीठ थपथपाई।
– शोभाराम गहरवाल