अहमदाबाद शहर के कठवाड़ा इलाके में रहने एक परिवार के चेहरे की खोई हुई मुस्कान उस वक्त लौट आई जब लिवर फेल होने से परेशान बेटे का नि:शुल्क प्रत्यारोपण किया गया। कैडेवर (ब्रेन डेड मरीज) से मिले लिवर का ट्रांसप्लांट शहर के सिविल मेडिसिटी स्थित किडनी अस्पताल में किया गया। आमतौर पर लाखों रुपए के खर्च से होने वाला इस तरह का प्रत्यारोपण यहां स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के तहत निशुल्क किया गया।रंगाई कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले धर्मेन्द्र पाटिल के पुत्र कैलाश (दोनों नाम परिवर्तित) की पांच वर्ष की आयु में ही लिवर संबंधी बीमारी हो गई। शुरू में उसका इलाज दवाओं से किया गया, लेकिन जब वह चौथी कक्षा में था, तब उसकी हालत और बिगड़ गई। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में जांच के दौरान उसे परिसर स्थित किडनी अस्पताल में रेफर किया गया। वर्ष 2014 से वह किडनी अस्पताल से दवाई ले रहा था। पिछले वर्ष 31 अक्टूबर को उसकी तबीयत काफी खराब हो गई। खून की उल्टियां होने पर चिकित्सकों ने सलाह दी कि लिवर खराब होेने के कारण अब ट्रांसप्लांट ही विकल्प है। कैडेवर लिवर के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की सलाह दी। कैलाश के परिवार ने उनकी खराब आर्थिक स्थिति के कारण चिंता व्यक्त की। उन्हें बताया गया कि स्कूल हेल्थ प्रोग्राम से यह नि:शुल्क हो जाएगा। इसके बाद परिवार में आत्मविश्वास आ गया, क्योंकि लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च लाखों में होता है। कई निजी अस्पतालों में तो 20 से 30 लाख तक का खर्च आता है। परिवार ने कैडेवर अंग के लिए रजिस्ट्रेशन करा दिया और लिवर का इंतजार करने लगा।
कैलाश की आयु 17 वर्ष चार माह थी तब उसके परिवार को अस्पताल से कैडेवर लिवर उपलब्धता का फोन आया। उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। कुछ ही घंटों में उसका लिवर ट्रांसप्लांट हो गया। इस ऑपरेशन से उसका जीवन ही बदल गया। उसे नई जिंदगी मिल गई। स्कूल हेल्थ प्रोग्राम को लेकर परिवार ने कहा कि यह योजना नहीं होती तो वे बेटे का ट्रांसप्लांट कराने में असमर्थ रहते।
Published on:
30 Jul 2025 11:03 pm